kajal soni
भारतीय क्रिकेट स्टार रविचंद्रन अश्विन ने हाल ही में हिंदी भाषा को लेकर एक विवादास्पद बयान दिया, जिसने कई लोगों को चौंका दिया। अश्विन का कहना है कि “हिंदी राष्ट्र भाषा नहीं है,” और यह बयान अब सोशल मीडिया और विभिन्न प्लेटफार्मों पर चर्चा का विषय बन गया है।
अश्विन का बयान
अश्विन ने यह बयान एक इंटरव्यू में दिया, जहाँ वे हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच के फर्क को लेकर अपनी राय व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदी को लेकर जो आम धारणा है, वह गलत है। उनका कहना था कि भारत में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं और सभी भाषाओं का सम्मान किया जाना चाहिए।
क्या कहा अश्विन ने?
अश्विन ने कहा, “हमारे देश में कई भाषाएँ हैं, और हिंदी के बारे में यह कहना कि यह राष्ट्र भाषा है, पूरी तरह से गलत है। हमारा संविधान किसी एक भाषा को राष्ट्र भाषा नहीं मानता है, बल्कि इसे एक ‘राजकीय भाषा’ के रूप में पहचानता है।” उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय संविधान में हिंदी को एक आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया गया है, लेकिन यह राष्ट्र भाषा नहीं है।
अश्विन के इस बयान ने भाषा और संस्कृति के विविधता को लेकर एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म दिया है। भारत एक विविधता से भरा हुआ देश है, जहाँ हर राज्य और क्षेत्र की अपनी एक अलग भाषा और संस्कृति है। अश्विन ने इस विविधता को सम्मान देने की बात की और यह बताया कि भारतीय भाषाओं के बीच भेदभाव नहीं होना चाहिए।
अश्विन के बयान को कई लोग दे रहें समर्थन
अश्विन का यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, और कई लोग इसे समर्थन दे रहे हैं तो कुछ लोग उनकी आलोचना भी कर रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि इस प्रकार के बयान से भाषा के मामले में और विवाद बढ़ सकते हैं। वहीं, कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि अश्विन ने केवल संविधान और वास्तविकता के आधार पर अपनी बात रखी है, और उनकी राय में कोई गलत नहीं है।