Parliament Winter Session: मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में ‘एक देश एक चुनाव’ (One Nation One Election) का संशोधन बिल पेश कर दिया। इस दौरान संसद में कई राजनीतिक दलों ने बिल का समर्थन किया तो कई दलों ने बिल का विरोध भी जताया है। बिल पेश करते हुए भाजपा ने कहा कि इस विधेयक से देश के विकास को गति मिलेगी। जबकि सपा व कांग्रेस का कहना है कि इस बिल से संविधान के मूल ढांचा ध्वस्त हो जाएगा।
लोकसभा में एक देश एक चुनाव बिल पेश होने के बाद बिल पर चर्चा शुरू हुई। भाजपा ने एक देश-एक चुनाव का संशोधन बिल पेश करने के बाद कहा कि इस विधेयक से देश का विकास तेजी से आगे बढ़ेगा। बार-बार होने वाले चुनाव के अतिरिक्त खर्च से सरकारी खजाने पर अधिक बोझ पड़ता है, इस बिल से खर्च का अतिरिक्त बोझ भी कम हो जाएगा। साथ ही बार-बार चुनाव कराने से व्यवस्था भी बिगड़ती है।
वहीं कांग्रेस, सपा, टीएमसी, आरजेडी, पीडीपी, शिवसेना उद्धव गुट और जेएमएम दलों ने एक देश एक चुनाव बिल का विरोध किया।
एक देश-एक चुनाव (One Nation One Election) बिल का विरोध करते हुए कांग्रेस ने कहा कि ये विधेयक संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है।
समाजवादी पार्टी के आजमगढ़ से सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि भाजपा सरकार इस विधेयक को लाकर तानाशाही के विकल्प तलाश रही है।
बिल का विरोध करते हुए शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा, “ये सिर्फ ध्यान भटकाने वाली बातें हैं। जिन मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए, लोगों के मुद्दों पर बात नहीं होती। हरसिमरत ने कहा कि न तो सरकार और न ही कांग्रेस सदन चलाना चाहती है। उन्होंने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन से किसे खाना मिलेगा? किसे नौकरी मिलेगी? कौन सा किसान मुद्दा हल होगा?”