उत्तर प्रदेश में मां विंध्याचल धाम में ‘विंध्य की पौड़ी’ का निर्माण कार्य शुरू

उत्तर प्रदेश के मीरजापुर में हरिद्वार की हरि की पौड़ी और अयोध्या की राम की पौड़ी की तर्ज पर मां विंध्याचल धाम में ‘विंध्य की पौड़ी’ के निर्माण का कार्य शुरू हो गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट विंध्य कॉरिडोर के तहत मां विंध्यवासिनी मंदिर, परिक्रमा पथ, एंट्रेंस प्लाजा, और प्रमुख मार्गों के चौड़ीकरण का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। अब गंगा घाटों पर विकास कार्य तेज गति से जारी है। इस परियोजना से गंगा घाटों की सुंदरता में निखार आएगा।

नगर विधायक पं. रत्नाकर मिश्र ने इस परियोजना के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा था, जिसे मंजूरी मिलने के बाद निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। विंध्याचल के मलहिया घाट, अखाड़ा घाट, इमली घाट, गोदारा घाट, परशुराम घाट, भैरव घाट, और बाबू घाट पर समतलीकरण, पक्के घाट निर्माण, प्लेटफॉर्म और सड़क निर्माण कार्य चल रहा है। नगर विधायक पं. रत्नाकर मिश्र ने बताया कि यह परियोजना प्रयागराज कुंभ के स्नान के बाद बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं को ध्यान में रखकर शुरू की गई है।

यह नई पहल न केवल धाम की भव्यता को बढ़ाती है, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं की आस्था को और मजबूत करती है। विंध्य क्षेत्र अब एक धार्मिक और पर्यटन केंद्र के रूप में उभर रहा है, जो आने वाले वर्षों में और भी प्रगति करेगा।

विंध्यवासिनी धाम और विंध्य कॉरिडोर का महत्व

मां विंध्यवासिनी धाम विंध्य पर्वत पर स्थित एक प्रमुख शक्ति पीठ है, जहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विंध्य कॉरिडोर परियोजना का उद्देश्य इस क्षेत्र को आधुनिक सुविधाओं और भव्यता के साथ धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करना है। चांदी के इस द्वार ने न केवल धाम की सुंदरता बढ़ाई है, बल्कि इसे धार्मिक दृष्टिकोण से और महत्वपूर्ण बना दिया है।

चांदी का दरवाजा: आस्था और कारीगरी का संगम

76 किलो चांदी से बने इस दरवाजे को वाराणसी के कुशल कारीगरों ने एक महीने में तैयार किया। इसकी डिज़ाइन में पारंपरिक धार्मिक प्रतीक शामिल हैं, जो मां विंध्यवासिनी की महिमा को और बढ़ाते हैं। इस दरवाजे को सोने के व्यापारी अखिलेश सोनी की देखरेख में बनाया गया और इसकी अनुमानित लागत 72 लाख रुपये है। पहले इस स्थान पर पीतल का दरवाजा था, जिसे अब चांदी के दरवाजे से बदल दिया गया है।

श्रद्धालु और प्रशासन की भूमिका

श्रीविंध्य पंडा समाज के अध्यक्ष पं. पंकज द्विवेदी ने बताया कि भक्त रविन्द्र कुमार सिंह ने यह दान मां विंध्यवासिनी की कृपा के लिए किया। इस दरवाजे को नवरात्रि के बाद श्रद्धालुओं की संख्या कम होने पर स्थापित किया गया। यह कार्य पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ संपन्न हुआ।

विंध्य कॉरिडोर परियोजना के तहत, धाम का विस्तार और विकास किया जा रहा है। इसमें बेहतर सड़कें, आवासीय सुविधाएं, जल प्रबंधन, और मंदिर की भव्यता को बढ़ाने के प्रयास शामिल हैं। चांदी के इस दरवाजे का जुड़ना इस विकास की कड़ी में एक और महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा, बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए भी इसे अधिक आकर्षक बनाएगा।

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