नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डिजिटल धोखाधड़ी, साइबर अपराध और एआई तकनीक के कारण उत्पन्न संभावित खतरों, विशेष रूप से सामाजिक और पारिवारिक संबंधों को नकारात्मक तौर पर प्रभावित करने के लिए डीप फेक की क्षमता पर चिंता व्यक्त की है। जवाबी उपाय के रूप में, उन्होंने पुलिस नेतृत्व से भारत की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ‘आकांक्षी भारत’ की दोहरी एआई शक्ति का उपयोग करके चुनौती को अवसर में बदलने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 30 नवंबर और 01 दिसंबर को भुवनेश्वर में पुलिस महानिदेशकों/महानिरीक्षकों के 59वें अखिल भारतीय सम्मेलन में भाग लिया। समापन सत्र में प्रधानमंत्री ने खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों को विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक वितरित किए।
अपने समापन भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा कि सम्मेलन के दौरान सुरक्षा चुनौतियों के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आयामों पर व्यापक चर्चा हुई और चर्चाओं से उभरी जवाबी रणनीतियों पर संतोष व्यक्त किया।
उन्होंने स्मार्ट पुलिसिंग के मंत्र का विस्तार किया और पुलिस से रणनीतिक, सावधान, ढलने लायक, विश्वसनीय और पारदर्शी बनने का आह्वान किया। शहरी पुलिसिंग में की गई पहलों की सराहना करते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि प्रत्येक पहल को देश के 100 शहरों में एकत्रित करके लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कॉन्स्टेबलों के कार्यभार को कम करने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग का आह्वान किया और सुझाव दिया कि पुलिस स्टेशन को संसाधन आवंटन के लिए केंद्र बिंदु बनाया जाना चाहिए।
कुछ प्रमुख समस्याओं के समाधान में हैकाथॉन की सफलता पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय पुलिस हैकाथॉन आयोजित करने पर भी विचार-विमर्श करने का सुझाव दिया। प्रधानमंत्री ने बंदरगाह सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने और इसके लिए भविष्य की कार्ययोजना तैयार करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
सरदार वल्लभभाई पटेल के अद्वितीय योगदान को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने गृह मंत्रालय से लेकर पुलिस स्टेशन स्तर तक के सभी सुरक्षा प्रतिष्ठानों से अगले साल उनकी 150 वीं जयंती पर श्रद्धांजलि देने का आह्वान किया। उन्होंने पुलिस की छवि, व्यावसायिकता और क्षमताओं में सुधार लाने वाले किसी भी पहलू पर लक्ष्य निर्धारित करने और उसे हासिल करने का संकल्प लेने का भी आह्वान किया। उन्होंने पुलिस से आधुनिक बनने और ‘ विकसित भारत ‘ के दृष्टिकोण के साथ खुद को फिर से जोड़ने का आग्रह किया।
सम्मेलन के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए मौजूदा और उभरती चुनौतियों पर गहन चर्चा की गई, जिसमें आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद, साइबर अपराध, आर्थिक सुरक्षा, आव्रजन, तटीय सुरक्षा और मादक पदार्थों की तस्करी शामिल है। बांग्लादेश और म्यांमार के साथ सीमा पर उभरती सुरक्षा चिंताओं, शहरी पुलिस व्यवस्था के रुझानों और दुर्भावनापूर्ण बयानों का मुकाबला करने की रणनीतियों पर भी विचार-विमर्श किया गया।
इस सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, गृह राज्य मंत्री और केंद्रीय गृह सचिव भी शामिल हुए। हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित इस सम्मेलन में सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के डीजीएसपी/आईजीएसपी और सीएपीएफ/सीपीओ के प्रमुखों ने भी शारीरिक रूप से भाग लिया और सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के विभिन्न रैंकों के 750 से अधिक अधिकारियों ने वर्चुअल माध्यम से भाग लिया।