उत्तर प्रदेश के कानपुर में आज सुबह 150 साल पुराना पुल गंगा नदी में गिर गया। गंगा नदी के ऊपर बना ये पुल कानपुर और उन्नाव जिले को जोड़ता था। गंगा पुल के नाम से प्रसिद्ध इस पुल का अपना एक लंबा चौड़ा इतिहास रहा है, भारत की आजादी में ये पुल गवाह रहा है। कहा जाता है कि अंग्रेजों ने इसी ब्रिज से क्रांतिकारियों पर गोलियां चलाई थी। वहीं 4 साल पहले ही इस पुल को कानपुर प्रशासन ने आने-जाने के लिए बंद कर दिया था।
गंगा पुल का नगर निगम इसका रखरखाव कर रहा था। धरोहर के रूप में दिखाने के लिए इसके सौंदर्यीकरण में करोड़ों रुपये खर्च किए गए थे मगर मंगलवार को पुल का एक हिस्सा (लगभग 80 फीट) गिर गया और गंगा के पानी में समा गया।
किसी ने नहीं ली संरक्षण की जिम्मेदारी
गंगा पुल को एक धरोहर की तरह संरक्षित करने पर जोर दिया गया लेकिन इसकी देखरेख और संरक्षण की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली और अब ये पुल अचानक कानपुर की ओर के हिस्से से पिलर नबर 9 और 10 देर रात अचानक ढह गया। पुल के ढहने की आवाज इतनी बुलंद थी कि आस पास के घरों तक इस पुल के गिरने की आवाज पहुंची जिसके बाद स्थानीय लोगों ने इसके ढहने की तस्वीर रात में ही देखी और सुबह यहां से गुजरने वाले हर किसी के लिए पुल का ढह जाना अचंभित कर रहा था।
फिलहाल प्रशासन की ओर से इस पुल के हिस्से के गिरने वाले हिस्से को गिराने का काम किया जा रहा है क्योंकि नीचे से नदी में नाव से लोग सफर भी करते हैं अगर कोई और हिस्सा गिरा या नीचे गंगा नदी में कोई नाविक हुआ था जान पर बात बन आएगी। वहीं अब इस बात पर अधिकारी लगे हुए हैं कि क्षतिग्रस्त हुए हिस्से के अलावा बचे हुए हिस्से को कैसे संरक्षित किया जाए।
क्रांतिकारियों पर इसी पुल से अंग्रेजों ने चलाई थी गोलियां
कानपुर से शुक्लागंज जाने के रास्ते में गंगा नदी के ऊपर बना अंग्रेजों के जमाने का ये पुल आजादी की लड़ाई का भी गवाह रहा है। एक बार क्रांतिकारी जब गंगा पार कर रहे थे तब अंग्रेजों ने इस पुल के ऊपर से उनपर फायरिंग कर दी थी। कुछ साल पहले जब यह पुल बंद किया गया तो उन्नाव के शुक्लागंज में रहने वाली 10 लाख की आबादी पर काफी फर्क पड़ा। इसको चालू करने के लिए उन्नाव के सांसद से लेकर कई विधायक और मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से लेकर प्रशासन तक दौड़ लगाई थी लेकिन कानपुर आईआईटी ने इसकी चेकिंग करके बता दिया था यह पुल जर्जर है, चलने लायक नहीं है और कभी भी गिर सकता है।
जिसके बाद जिला प्रशासन ने इस पुल को चालू करने से पूरी तरह इनकार कर दिया था। आज वही बात सच साबित हुई, जब सुबह-सुबह गंगापुल का बड़ा हिस्सा गिर गया। पुल नीचे लोहे का बना था जबकि ऊपर सीमेंटेड था। पुलिस का कहना है पुल में और भी दरारें हैं इसलिए इसको पूरी तरह से बंद कर दिया है. टहलने-घूमने आने वालों को भी रोक दिया गया है।
1875 में अंग्रेजों ने कराया था निर्माण
बताया गया कि अंग्रेजों ने कानपुर को उन्नाव-लखनऊ से जोड़ने के लिए 1875 में इस गंगा पुल का निर्माण कराया था। निर्माण कार्य ईस्ट इंडिया कंपनी के इंजीनियरों ने कराया था, इसे बनाने मे 7 साल 4 महीने लगे थे। मैस्कर घाट पर प्लांट लगाया गया था, अंग्रेजों ने यातायात के लिए इस पुल का निर्माण कराया था। इस पुल की विशेषता थी कि नीचे से गुजरने वाले लोग साइकिल या पैदल इस से पुल को पार किया करते थे लेकिन इसके ऊपर बने पुल से भारी वाहन दौड़ते हुए दिखाइए देते थे। फिर 1910 में इसी पुल के करीब ही ट्रेनों के संचालन के लिए एक रेलवे ब्रिज बनवाया था। रोजाना 22 हजार चौपहिया-दोपहिया समेत 1.25 लाख लोग इस पुल से गुजरते थे।