देव दीपावली : काशी में गंगा के समानांतर प्रवाहित ज्योर्तिगंगा के साक्षी बने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

– मुख्यमंत्री योगी के साथ गंगा किनारे देवलोक सरीखा नजारा देख उपराष्ट्रपति अभिभूत, लेजर शो ने पूर्णिमा के चांद को किया फीका

– नमो घाट पर दीया जलाकर उपराष्ट्रपति ने देव दीपावली पर्व का किया शुभारंभ

वाराणसी । देव दीपावली पर्व पर शुक्रवार की शाम गंगा की लहरों में क्रूज पर सवार देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, अपनी पत्नी सुदेश धनखड़, प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केन्द्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के साथ उत्तरवाहिनी गंगा में देवलोक सरीखा नजारा देख आह्लादित नजर आये।

नमोघाट से अस्सीघाट के बीच लगभग साढ़े सात किलोमीटर के दायरे में गंगा के दोनों तटों पर जले 20 लाख से अधिक दीयों की रौशनी में कलकल करती गंगा के किनारे समानन्तर प्रवाहित ज्योतिगंगा का एहसास कर उपराष्ट्रपति इस अद्भभुत और आध्यात्मिक छटा के हमराह बने।

नमोघाट से ही कू्ज पर सवार उपराष्ट्रपति गंगधार के किनारे तटों पर लाखों-लाख दीपों की लड़ियों को एक साथ अठखेलियां करते देखते रहे,इसके बारे में मुख्यमंत्री से जानकारी लेते रहे। गंगा के किनारे जमीं पर सितारे उतरने का नजारा विशिष्ट मेहमानों को दिखाने के लिए क्रूज भी धीमी गति से गंगा की मौजों में आगे बढ़ता रहा।

इस दौरान दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि और शीतलाघाट पर गंगोत्री सेवा समिति के अगुवाई में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच गंगा की महाआरती में 21 ब्राम्हणों, रिद्धि-सिद्धि के रूप में 42 कन्याओं को मां गंगा को चंवर डुलाते देख उपराष्ट्रपति अध्यामिक भाव में दिखे। चेतसिंह किलाघाट पर लेजर शो और मल्टीमीडिया शो,गंगा की लहरों पर लेजर शो देखकर उपराष्ट्रपति गदगद दिखे। इसके पहले उन्होंने नमोघाट का लोकार्पण कर देव दीपावली पर्व का शुभारंभ किया। इसके बाद क्रूज पर सवार होकर गंगधार में देव दीपावली की अद्धभुत छटा निहारने निकले। पूर्णिमा की चांद की दुधिया रोशनी में भूतभावन की प्रेयसी गंगा का स्वरूप और उनके गले में ज्योर्तिमालाओं की लड़िया को अपलक देखते रहे। पंचगंगा घाट पर उन्होंने ‘हजारा दीप स्तंभ’ भी देखा। गंगा में धीरे-धीरे क्रूज चेतसिंह किलाघाट पर पहुंच कर ठहर गया। यहां उप राष्ट्रपति ने खास लेजर शो भी देखा। खास बात यह रही कि उप राष्ट्रपति के गंगा में नौकायन के दौरान गंगा किनारे विभिन्न घाटों पर खड़े लोग हर-हर महादेव के गगनभेदी उद्घोष से उनका स्वागत भी करते रहे।

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