गृहम हाउसिंग के यूपी विस्तार पर मनीष जयसवाल से चर्चा

मनीष जयसवाल – मैनेजिंग डायरेक्टर एंड सीईओ, गृहम हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड

मनीष जयसवाल 2017 से गृहम हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर एंड सीईओ हैं। 30 से अधिक वर्षों के बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और भारी उद्योग में उनके गहन अनुभव ने उन्हें एक सफल व्यवसायिक लीडर के रूप में स्थापित किया है। क्रिसिल में वरिष्ठ निदेशक के रूप में, उन्होंने कई व्यवसायों का नेतृत्व किया। वे नीति-निर्माण में भी सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं, जैसे कि SEBI और EPFO के साथ विभिन्न समितियों में योगदान।

1.गृहम की उपस्थिति उत्तर प्रदेश में कैसी है?
गृहम हाउसिंग फाइनेंस (गृहम) ने उत्तर प्रदेश (यूपी) में महत्वपूर्ण स्थान स्थापित किया है, जहां 35 शाखाओं के माध्यम से 40 से अधिक टियर 2 और टियर 3 क्षेत्रों में वित्त संबंधी सेवाएँ दी जा रही हैं। हमने अपने संसाधनों का लगभग एक-सातवां हिस्सा यूपी को आवंटित किया है, जो राज्य के दीर्घकालिक विकास में हमारी विश्वास को दर्शाता है। यूपी की घनी आबादी और उनकी आवासी सम्बन्धी बढ़ती जरूरतों की वजह से यहां अपार संभावनाएं मौजूद हैं।

    2.यूपी के बाजार में गृहम के विस्तार की क्या संभावनाएं हैं?
    यूपी में विस्तार के लिए विशाल अवसर हैं, खासकर “PMAY-Urban 2.0” Beneficiary Led Construction(BLC) मॉडल के लॉन्च के साथ। यह मॉडल व्यक्तियों को अपनी भूमि पर स्वयं घर बनाने की अनुमति देता है, जो राज्य के आवास बाजार के लिए क्रांतिकारी हो सकता है। यदि UP सरकार केंद्रीय सरकार के साथ अपनी सब्सिडी आवंटन बढ़ाती है, तो यह ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करेगा। फ्लाई ऐश ईंटों और सोलार पैनलों जैसे पर्यावरण अनुकूल आवास का उपयोग करने से यूपी की स्थायी विकास में स्थिति और मजबूत होगी। यूपी में पर्यटन एक और उभरता हुआ क्षेत्र है। वाराणसी, अयोध्या और आगरा जैसे शहर प्रमुख पर्यटन केंद्रों में परिवर्तित हो रहे हैं, जिससे आवास और संबंधित सुविधाओं की मांग बढ़ रही है। सही आर्थिक नीतियों के साथ, यूपी एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता रखता है, और आवास विकास इस परिवर्तन में महत्वपूर्ण होगा।

      3.गृहम यूपी की आर्थिक विकास में अपने संचालन के माध्यम से कैसे योगदान करता है?

        यूपी के राजस्व वृद्धि में भी गृहम महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जिनकी आय प्रति माह ₹30,000 से ₹60,000 के बीच हैं, ऐसे लोग कमजोर आर्थिक स्थिति वाले वर्ग (EWS) से आते हैं। हालांकि देखा जाय तो यही लोग प्रदेश की अर्थव्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, खासकर अर्द्ध शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में। गृहम उन्हें उनके ही बजट में अपनी जमीन पर किफायती घर बनाने या दूसरे किसानों से संपत्ति खरीदने हेतू लोन की सुविधा देता है जिससे निधि स्थानीय अर्थव्यवस्था में रहते है इसके अतिरिक्त, गृहम संपत्ति के बदले व्यवसाय ऋण के माध्यम से बिज़नेस ओनर्स का भी समर्थन करते हैं, जिससे उन्हें अपने व्यापार का विस्तार करने और रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिलती है। गृहम द्वारा व्यक्तिगत ऋण देने का दृष्टिकोण केवल औपचारिक वित्तीय दस्तावेज़ीकरण पर निर्भर नहीं है। कंपनी के काम का तरीका विश्वास को बढ़ावा देता है और व्यक्तियों के लिए ऋण की पहुंच को आसान बनाता है।
        संयोग से, ₹9 लाख प्रति वर्ष आय वर्ग वाले लोग PMAY 2.0 के तहत ब्याज सब्सिडी योजना (ISS) का लाभ उठा सकते हैं। ISS के माध्यम से 01.09.2024 या उसके बाद स्वीकृत और वितरित होम लोन पर सब्सिडी प्रदान की जाएगी।

        4 .गृहम के उत्पाद प्रतिस्पर्धियों से किस प्रकार भिन्न हैं?

        गृहम जमीन संबंधी पंजीकृत दस्तावेजों की आवश्यकता के बिना पैतृक भूमि पर स्व-निर्माण की सुविधा देता है, हमारी यही नीति दूसरों से अलग और सुविधाजनक है। हम किसानों से सीधे भूमि खरीद का भी प्रस्ताव रखते हैं। जिससे यह सुनिश्चित होता है कि धन कृषि क्षेत्र में वापस आ जाए और ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा मिले। हमारी प्रास्ताव का एक प्रमुख भाग प्रत्येक ऋण के साथ अंतर्निहित बीमा है, जो संकट के समय में परिवारों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है। हमारा दृष्टिकोण सहानुभूति और ग्राहक सेवा पर आधारित है, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रत्येक उधारकर्ता गृहस्वामी आत्मविश्वास महसूस करता है। मैं व्यक्तिगत रूप से यूपी की मानसिकता को समझता हूं, मैं प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) में पला बढ़ा हूं। प्रदेश के लोगों का वित्तीय व्यवहार विनम्रता में निहित है, और वे विश्वास और व्यक्तिगत संबंधों को महत्व देते हैं।

        5. उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में किफायती आवास वित्त के विकास में कैसे सहायता कर सकती है?
        यूपी सरकार विशेष रूप से छोटे शेहरो में PMAY-U 2.0 BLC मॉडल को बढ़ाकर किफायती आवास बनाने की योजना में तेजी ला सकती है। इस मॉडल को तमिलनाडु जैसे अन्य राज्यों में सफलता मिली है, और सही बदलावों के साथ यह यूपी के आवासीय विकास में भी सहायक हो सकता है। स्व-निर्माण के लिए सब्सिडी बढ़ाने के साथ-साथ ग्रीन कंस्ट्रक्शन को बढ़ावा देने से राज्य में एक स्थायी आवास आने की प्रबल संभावना है। सरकार स्थानीय विकास प्राधिकरणों के साथ काम करते हुए अफोर्डेबल हाउसिंग पार्टनरशिप (AHP) मॉडल के माध्यम से पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप को भी प्रोत्साहित कर सकती है। इसे शीर्ष 10 शहरों में शामिल करने से यूपी का शहरी परिदृश्य एक संपन्न आर्थिक केंद्र में बदल सकता है। यूपी के तेजी से बढ़ते पर्यटन और बुनियादी ढांचे के विकास को देखते हुए, राज्य में कई बड़ी शहरी अर्थव्यवस्थाओं को विकसित करने की क्षमता है, जो कई राज्यों ने अभी तक हासिल नहीं की है। इसके अलावा, न्याय पालिका, वकीलों, अदालतों और कई जरूरी कानूनी प्रावधानों को एक जगह संग्रहित कर सके, ऐसे सुव्यवस्थित डिजिटल प्लेटफॉर्म (मोबाइल ऐप या वेबसाफट) के निर्माण से लंबित मामलों के समाधान में तेजी आ सकती है। इससे न केवल व्यावसायिक विश्वास बढ़ेगा बल्कि निजी क्षेत्र से जुड़े लोगों की अधिक भागीदारी को भी प्रोत्साहन मिलेगा। यूपी के लिए एक ट्रिलियन-डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को साकार करने के लिए ऐसे सुधार महत्वपूर्ण होंगे।

        6. यूपी की आवास आवश्यकताएँ अन्य क्षेत्रों से किस प्रकार भिन्न हैं?
        भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य के रूप में, यूपी में आवास की ज़रूरतें विशिष्ट हैं। भारत की 17% आबादी के साथ, राज्य को शहरी और ग्रामीण आवास दोनों में कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्गों, विनिर्माण केंद्रों और परिवहन बुनियादी ढांचे में किए जा रहे बड़े पैमाने पर निवेश से आर्थिक विकास और विशेष रूप से टियर 2 और टियर 3 शहरों में किफायती आवास की मांग को बढ़ावा मिलेगा। मेट्रो क्षेत्रों में ऊंची इमारतों के बजाय, यूपी में आवास की मांग ज्यादातर चौड़ी है, जहां अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में किफायती, कम ऊंचाई वाले विकास पर ध्यान दिया गया है। इसके लिए एक लचीली और विस्तार योग्य योजना की आवश्यकता है, खासकर कम आय वाले परिवारों के लिए। BLC मॉडल यूपी की जरूरतों के लिए उपयुक्त है, क्योंकि यह व्यक्तियों को अपनी जमीन पर घर बनाने का अधिकार देता है, जिससे उन्हें प्रक्रिया पर नियंत्रण मिलता है। इसके अलावा, यूपी में प्रति माह ₹30,000 से ₹60,000 की औसत आय वाले परिवारों पर ध्यान केंद्रित करके कम से कम 10 नए शहरी केंद्र विकसित करने की क्षमता है। गृहम विभिन्न आवासीय की जरूरतों को पूरा करने के लिए राज्य भर में रणनीतिक रूप से तैनात है।

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