हरिद्वार। स्वामी शिवानंद ने कहा कि सरकार, पर्यावरण मंत्रालय गंगा को नष्ट करने पर तुले हुए हैं। हिमालय में विनाशकारी जल विद्युत परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। भविष्य में इसके परिणाम काफी घातक होंगे। मातृ सदन आश्रम में स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद की 7वीं पुण्यतिथि पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण और गंगा की अविरल धारा को बनाए रखने के महत्व पर गहन चर्चा की गई। इस अवसर पर मुख्य संबोधन करते हुए स्वामी शिवानंद महाराज ने स्वामी सानंद के महान योगदान पर प्रकाश डाला। कहा कि यदि स्वामी सानंद ने गंगा की अविरल धारा के लिए अपना अनशन और संघर्ष न किया होता, तो गंगा का प्रवाह भैरवघाटी पर रोक दिया जाता, जो गंगोत्री से मात्र 8-10 किलोमीटर नीचे है। स्वामी सानंद की तपस्या का परिणाम है कि आज 125 किलोमीटर का पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र गंगा के किनारे किसी भी अवरोध से मुक्त है। डॉ. विजय वर्मा ने मातृ सदन के संघर्षों और वर्षों से पर्यावरण संरक्षण के लिए किए गए
प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने वेदों के पर्यावरण से जुड़े शिक्षाओं के बारे में भी अपने विचार साझा किए। विनय सेठी ने पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यक्तिगत विवेक और जिम्मेदारी की आवश्यकता पर बल दिया। अन्य वक्ताओं में संजीव चौधरी, विकास झा और संत ने भी पर्यावरण संरक्षण में मातृ सदन के योगदान पर अपने विचार व्यक्त किए। साध्वी पद्मावती ने स्वामी सानंद जी के साथ अपने व्यक्तिगत अनुभव और गंगा के लिए उनके संघर्ष की प्रेरणा को साझा किया।