बरेली।दरगाह शाह शराफत पर उर्स ए सकलैनी के मौके पर बड़ी संख्या में अकीदतमंद इकट्ठा हुए। उर्से सकलैनी के आखिरी दिन 11 बजे कुल की रस्म अदा की गईं। जिसमें दरगाह स्थित आसपास की गलियां भीड़ से खचाखच भर गईं। इससे पहले सुबह बाद नमाज़ फज्र कुरआन ख्वानी से हुई। उसके बाद तकरीरी महफिल का आग़ाज़ हुआ,
महफिल तिलावते कलामे पाक से शुरू की गई। कार्यक्रम के खुसूसी आलिम मुख्तार अशरफ़ ने किब्ला पीरो मुरशिद मियां हुज़ूर की जीवन शैली पर रौशनी डाली। वही मौलाना प्रोफेसर मेहमूद उल हसन ने अपने ब्यान में कहा कि आज हम लोगों को तरह-तरह से परेशान किया जा रहा है ज़ुल्म किए जा रहे हैं,हमारे पूर्वजों का खुलेआम अपमान किया जा रहा है ,
हमारे सब्र का इम्तिहान लिया जा रहा है और अफसोस की बात ये है कि कुछ आपस के लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने मुखालिफत और हमारे कार्यक्रम को खत्म कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी, ऐसे लोगों की सोच और उनकी साज़िशों पर शर्म आती है जो अपने ज़मीर से बिलकुल गिर चुके हैं, उन्होंने लोगो को हिदायत की हमारे सब्र और इम्तिहान का वक्त है। अपने पीरो मुरशिद के पहले उर्स में शिरकत करने की लिए मुरीद जमा हो गए।
कुल शरीफ सें पहले दरगाह के आसपास कोहाडापीर, नैनीताल रोड, कुतुबखाना, कुमार टाकीज, जाटव पुरा चौराहा आदि प्रमुख चौराहे की गलियां अक़ीदतमंदो सें भर गईं थी। जो जहां खड़ा था उसने वही सें खड़े होकर कुल में शिरकत की। सलात ओ सलाम हुआ और ठीक 11 बजे कुल शरीफ़ की फातिहा की गई, कुल शरीफ़ की फातिहा साहिबे सज्जादा नशीन शाह मोहम्मद गाज़ी मियां ने पढ़ी।
उसके बाद कुल शरीफ़ के मुबारक मौक़े पर ख़ानक़ाह के सज्जादा नशीन गाज़ी मियां ने उर्स में आए सभी ज़ायरीन के नेक तमन्नाओं के लिए दुआएं की और खुसूसी तौर पर मुल्क व शहर के अमन व सुकून के लिए दुआ की और क़ौम की सलामती व तरक्की के लिए खुसूसी दुआएं कराईं।कार्यक्रम में कुल शरीफ़ के मौक़े सादकैन सकलैनी, असलम मियां वामिकी, आबिद सकलैनी, शाहिद शेख़, मौलाना रिफाक़त सकलैनी, मौलाना मुफ्ती फ़हीम सकलैनी, हाफ़िज़ गुलाम गौस, मौलाना मुख्तार तिलहरी, हमज़ा सकलैनी, इंतिखाब सकलैनी, मुनीफ सकलैनी, सलमान सकलैनी, हज़रत मुहिब्ब मियां, ज़िया राशिद, हाजी लतीफ़, हाफ़िज़ आमिल, हसीब सकलैनी आदि मौजूद रहे।