- पॉकेट एफएम जैसे प्लेटफ़ॉर्म देशी हिंदी लेखकों को सशक्त बनाने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं
नई दिल्ली। किसी भी रचनात्मक परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा लेखन होता है, फिर भी ऐसा बहुत कम होता है कि लेखकों को अपनी बात पूरी स्वतंत्रता से व्यक्त करने का मौका दिया जाता है। खासकर शुद्ध हिंदी लेखकों को पुराने समय की तरह अपनाया और प्रोत्साहित करना तो और भी दुर्लभ है। हालांकि, डिजिटल युग में चीजें तेजी से बेहतर हो रही हैं और हमारी कल्पना से भी तेज़!
ऑनलाइन दुनिया यह सुनिश्चित कर रही है कि लेखक, खासकर हिंदी कहानीकार, बिना किसी समझौते के अपने दृष्टिकोण को पूरी तरह से खोज सकें। ओटीटी के क्षेत्र में ‘पंचायत’, ‘जामताड़ा’ और ‘खाकी: द बिहार चैप्टर’ जैसी श्रृंखलाएँ इस बात के प्रमुख उदाहरण हैं कि भारत के हिंदी क्षेत्र में आधारित कहानियाँ कैसे हिट साबित हो रही हैं। इनकी सफलता साबित करती है कि दर्शक अब केवल एक क्षेत्र या भाषा तक सीमित नहीं हैं।
पॉकेट एफएम और पॉकेट नॉवेल जैसे प्लेटफ़ॉर्म लेखकों को अपने शिल्प को विविध रूपों में प्रस्तुत करने के अवसर प्रदान कर रहे हैं। जहाँ पॉकेट एफएम लेखकों को ऑडियो आधारित कहानी सुनाने के अद्वितीय क्षेत्र में निवेश करने की अनुमति देता है, वहीं पॉकेट नॉवेल लेखकों को अपने उपन्यासों को विश्वभर में बड़े दर्शकों तक पहुँचाने का मौका देता है। पॉकेट नॉवेल पर मोनी सिंह, पूजा सावरबांधे और जिज्ञासा जैसे लेखक शीर्ष नामों में से हैं, जिनके काम को पॉकेट एफएम पर ऑडियो प्रारूप में भी अनुवाद किया गया है। ताजगी और रोमांचक कहानियों के साथ, यह आश्चर्य की बात नहीं है कि इन दोनों प्लेटफ़ॉर्म ने ग्राहकों और पाठकों की संख्या के मामले में भारी सफलता हासिल की है।
डिजिटल युग में मिले नए अवसरों पर पॉकेट एफएम की ‘मजबूरी में बंधा एक रिश्ता’ सीरीज़ की लेखिका जिज्ञासा ने कहा, “मैं बिहार के एक छोटे से शहर से आती हूँ, और इस ऑडियो सीरीज़ प्लेटफ़ॉर्म पर एक लेखिका के रूप में मेरी उपस्थिति और मेरे काम का विश्वभर के दर्शकों से जुड़ना मेरे लिए कई मायनों में एक सपना सच होने जैसा है। यही है डिजिटल माध्यम की असली ताकत, यह भारत के विभिन्न हिस्सों से आने वाली प्रतिभाओं को पंख दे रही है, बिना किसी भाषा की बाधा के।”
अपना अनुभव साझा करते हुए ‘डेविल से शादी’ की लेखिका मोनी सिंह ने कहा, “हिंदी वह भाषा है जिसमें मैं सोचती हूँ और अनिवार्य रूप से लिखती भी हूँ। मेरी कहानियों में एक विशिष्ट स्थानीय हिंदी रंग होता है। अच्छी बात है कि पॉकेट एफएम और पॉकेट नॉवेल जैसे प्लेटफ़ॉर्म किसी रचनात्मकता को बाधित नहीं करती।
पॉकेट नॉवेल की ‘माय अडोरेबल वाइफी’ की लेखिका पूजा सावरबांधे ने विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म पर रचनात्मक अभिव्यक्ति के बारे में अपने विचार साझा करते हुए कहा, “डिजिटल कहानी कहने के आगमन ने लेखकों को अपने शिल्प का विभिन्न माध्यमों में परीक्षण करने का अवसर दिया है।
आज की दुनिया में, भाषा मनोरंजन उद्योग में बाधा के बजाय एक संपत्ति बन गई है। जैसे-जैसे लेखक, विशेषकर हिंदी लेखक, डिजिटल क्षेत्र में एक विशिष्ट और मजबूत पहचान बना रहे हैं, यह प्रवृत्ति आने वाले समय में और भी मजबूत और स्वस्थ होती नजर आ रही है। हिंदी दिवस को मनाने का इससे बेहतर तरीका और क्या हो सकता है?