मंगलौर। शहादत की जो मिसाल हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला के मैदान में पेश की है उसकी नजीर कयामत तक नहीं मिल सकती। उन्होंने किसी धर्म विशेष या समुदाय विशेष के लिए नहीं बल्कि पूरी मानव जाति की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
सोमवार को शहीदे कर्बला हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत के 40 दिन पूर्ण होने पर उनके चेहल्लुम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर नगर के मुहल्ला पठानपुरा स्थित बड़े इमामबाड़े पर मुख्य मजलिस का आयोजन किया गया। मजलिस को मौलाना आयतुल्लाह सैयद सिबतैन रजा रिजवी ने संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि
इमाम हुसैन ने कर्बला के मैदान में किसी प्रकार की भी सत्ता हासिल करने के लिए जंग नहीं की थी बल्कि वह उस समय के जालिम शासक के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे थे जो कि इंसानियत और दीन-ए इस्लाम को मिटाने की पूरी तैयारी कर चुका था। उन्होंने कहा कि कर्बला में दरिया बहता रहा लेकिन इमाम हुसैन, उनके बच्चे तथा उनके साथी तीन दिनों तक भूखे प्यासे रहे जालिम शासक की फौज द्वारा पूरी नहर पर कब्जा कर लिया गया था
इसी भूख और प्यास के आलम में इमाम हुसैन ने लोगों से नेक रास्ते पर आने की अपील की लेकिन वह नहीं माने तथा उन्होंने इमाम हुसैन से जंग की जिसमें इमाम हुसैन शहीद हुए लेकिन आज भी वह लोगों के दिलों में जिंदा हैं। मातमी जुलूस शुरू हुआ जो की बाबुल मुराद होता हुआ जैनबिया चौक पहुंचा। दरबार हुसैन से आने वाला जुलूस भी इसी जुलूस में आकर शामिल हुआ। लंढौरा रोड, शहर पुलिस चौकी के सामने से मोहल्ला टोली होता हुआ यह जुलूस थाना बाईपास मार्ग स्थित कर्बला पहुंच जहां से पठानपुरा के भीतरी भाग को होता हुआ पुनः बड़े इमाम बाड़े पर आकर संपन्न हो गया।
इस मौके पर काशिफ राजा रिजवी(राजू) अली मेहंदी ज़ैदी, नवाब अली जाफरी, रजब अली आरफी, रियाज हसन जैदी, सैयद अली हैदर जैदी, अमीर हैदर जैदी, रौनक जैदी, वफा आब्दी, शमशुल हसन, मौलाना सिब्ते हसन, मोहम्मद हनीफ, अब्बास हैदर, अम्मार हैदर आदि ने भाग लिया।