सुप्रीम कोर्ट ने नीट परीक्षा को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर 0.01 फीसद भी किसी की खामी पाई गई तो हम उससे सख्ती से निपटेंगे। जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेंच ने कहा कि एनटीए छात्रों की शिकायतों को नज़रअंदाज न करें, अगर परीक्षा में कोई गलती हुई है तो उसे समय रहते सुधारा जाए। अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी।
सुनवाई के दौरान जस्टिस एसवी भट्टी ने कहा कि अगर कोई अभ्यर्थी परीक्षा में गड़बड़ी के बाद डॉक्टर बनता है तो वो समाज के लिए काफी खतरनाक होगा। उन्होंने कहा कि कोर्ट उच्च प्रतियोगिता वाले दौर में अभ्यर्थियों के कठिन मेहनत पर संजीदा है। कोर्ट ने कहा कि एनटीए को जिम्मेदारी के साथ काम करना होगा ताकि परीक्षार्थियों का विश्वास हासिल हो सके।
दरअसल, नीट परीक्षा की विसंगतियों को लेकर 20 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर 5 मई को हुई इस परीक्षा की जांच सीबीआई या किसी दूसरी स्वतंत्र एजेंसी से सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराए जाने की मांग की है। तन्मय शर्मा और अन्य की तरफ से दाखिल की गई याचिका में इस परीक्षा में 620 अंक से ज्यादा पाने वाले छात्रों की अकादमिक और फोरेंसिक जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी या सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गठित की गई कमेटी से कराए जाने की मांग की गई है। याचिका में नीट की परीक्षा को दोबारा कराए जाने की मांग करते हुए केंद्र सरकार और इस परीक्षा को आयोजित करने वाली एजेंसियों को परीक्षा के दौरान पारदर्शिता बरतने, पेपर लीक न होने और परीक्षा के दौरान गलत तरीकों का इस्तेमाल भविष्य न हो, इसके लिए उचित कदम उठाए जाने का निर्देश देने की मांग की गई है।
याचिका में परीक्षा परिणामों की जांच के आधार पर सात बिंदुओं का हवाला दिया गया है। पहला इस परीक्षा में 67 बच्चों ने शत प्रतिशत अंक हासिल किए, जिनमें से छह एक ही परीक्षा केंद्र के हैं जबकि टॉप 70 में से आठ छात्र हरियाणा के झज्जर के एक परीक्षा केंद्र से हैं। साथ ही टॉप सौ बच्चों के रोल नंबर एक ही क्रम में हैं। दूसरा 620 से 720 अंक पाने वाले छात्रों की संख्या पहले के मुकाबले 400 प्रतिशत तक बढ़ गई है, जो पिछले साल मात्र प्रतिशत दशमलव चार से दशमलव छह प्रतिशत ही थी। पिछली बार टॉप 100 छात्रों की संख्या का प्रतिशत 2.5 ही था जबकि 520 से 620 और उससे नीचे के वर्ग मे आने वाले छात्रों के प्रतिशत में कोई खास अंतर नहीं है। य़ह दर्शाता है कि सुनियोजित तरीके से खास बच्चों को एडमिशन दिलाने के लिए ऐसा किया गया।
तीसरा 1563 बच्चों को परीक्षा परिणामों में एनटीए द्वारा बिना किसी नियम के ग्रेस मार्क्स दिया गया। एनटीए इसके लिए दोषी है कि परीक्षा समाप्त होने के बाद बिना किसी नियम में बदलाव करते हुए ग्रेस मार्क्स दिए, इसकी जांच की जाए। चौथा कुल 720 अंक में से छात्रों द्वारा 718-719 अंक पाना गणितीय रूप से सम्भव नहीं है, क्योंकि परीक्षा में सही जवाब के लिए चार और गलत जवाब के लिए एक नंबर काटने का प्रावधान है। ऐसे मे 180 प्रश्नों का उत्तर देने पर किसी भी स्थिति मे 718 या 719 अंक नहीं प्राप्त किया जा सकता।
पांचवा नीट परीक्षा के पेपर लीक हुए, क्योंकि एनटीए ने माना कि परीक्षा के दिन 4 बजकर 25 मिनट पर ही पेपर सर्कुलेट हुए जबकि परीक्षा 5 बजकर 20 मिनट पर समाप्त हुई। छठवां यह कि परीक्षा देने में मिले कम समय का हवाला देकर कंपेंसेटरी मार्क्स दिए जाने और सातवां कि परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है, क्योंकि ओएमआर शीट की कार्बन कॉपी छात्रों को नहीं दी गई। इससे धांधली की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इस पूरे मामले में कई एफआईआर दर्ज की गई हैं और कई लोगों को देशभर से गिरफ्तार किया गया है। ऐसे में इन बिंदुओं के आधार पर परीक्षा को रद्द किया जा सकता है।