भास्कर समाचार सेवा
रुद्रप्रयाग। प्रभावितों को उचित मुआवजा देने, मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स निर्माण समेत अन्य मांगों को लेकर चारधाम परियोजना प्रभावित संघर्ष समिति के आह्वान पर जनपद रुद्रप्रयाग बंद रहा। इस दौरान प्रभावितों ने जिला मुख्यालय पर रैली निकालकर अपना विरोध दर्ज किया। संघर्ष समिति ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। समिति ने स्पष्ट कहा कि सरकार ने मांगें नहीं मानी तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
शनिवार को चारधाम परियोजना प्रभावित संघर्ष समिति के आह्वान पर रुद्रप्रयाग बंद का व्यापक असर देखने को मिला। रुद्रप्रयाग, तिलवाड़ा, अगस्त्यमुनि, भीरी, चंद्रापुरी, गुप्तकाशी, फाटा, सुमाड़ी, खांकरा, नरकोटा, रतूड़ा, नगरासू समेत अन्य सभी छोटे बाजार बंद रहे। इस दौरान परियोजना प्रभावित संघर्ष समिति ने मुख्य बाजार में रैली के बाद आम सभा आयोजित की। सभा को संबोधित करते संघर्ष समिति के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने कहा कि जनपद रुद्रप्रयाग में राष्ट्रीय राजमार्ग सं. 58 एवं 109 के चौड़ीकरण के लिए चारधाम परियोजना संचालित की जा रही है। इस परियोजना का चारधाम परियोजना प्रभावित संघर्ष समिति आरंभ से ही समर्थन कर रही है लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, परिवहन मंत्रालय भारत सरकार तथा राज्य सरकार इसके क्रियान्वयन की चपेट में आने वाले भवन स्वामियों एवं व्यापारियों को समुचित राहत देने को तैयार नहीं हैं। कहा कि चारधाम परियोजना प्रभावित संघर्ष समिति द्वारा मुख्यमंत्री से गत वर्ष 22 दिसम्बर 2018 को अनुरोध किया गया था कि प्रभावित भवन-स्वामियों को आर्थिक क्षति-पूर्ति के रूप में सहायता प्रदान की जाय लेकिन सरकार द्वारा यह मांग नहीं मानी गई। प्रभावितों ने सरकारी भूमि पर बने मकानों-दुकानों को तोड़े जाने की स्थिति में क्षति का मुआवजा देने की भी मांग की, लेकिन सरकार ने 22 जुलाई 2019 को जारी आदेश के बिंदु-7 में प्रभावित के अन्यत्र अचल सम्पत्ति मकान और दुकान आदि न होने का शपथ-पत्र मांगा गया है जो कि पर्वतीय लोगों के हितों पर कुठाराघात किया गया है, क्योंकि पहाड़ी लोगों द्वारा आजीविका के लिये अपने गांवों को छोड़कर यात्रा मार्गां पर मकान, दुकान बनाई गई है। इनको ध्वस्त करने पर उनका रोजगार भी ठप होगा और उसका मुआवजा भी नहीं मिलेगा तो वह अपने परिवार का पालन कैसे करेगा और कैसे जिंदा रहेगा?
जन अधिकार मंच के संरक्षक रमेश पहाड़ी, देवेंद्र चमोली, मगनानंद भट्ट ने कहा कि पहाड़ के लोगों की जिजीविषा से ही चारधाम यात्रा के लिए आज लाखों की संख्या में यात्री आ रहे हैं, लेकिन सरकार अब यहां के लोगों को बिना किसी राहत कर उजाड़ रही है। यह अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उद्योग व्यापार संघ के प्रदेश महामंत्री प्रदीप बगवाड़ी और प्रदेश उपाध्यक्ष माधो सिंह नेगी ने कहा कि परियोजना से प्रभावित हो रहे प्रत्येक व्यापारी को दस लाख रुपये का मुआवजा दिया जाय।
तिलवाड़ा व्यापार सभा अध्यक्ष सुरेंद्र दत्त सकलानी ने कहा कि तिलवाड़ा बाजार में भी अन्य बाजारों की तर्ज पर 12 मीटर चौड़ीकरण होना चाहिए। प्रभावित जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि प्रशासन ने भवन स्वामियों का सही तरीके से मूल्यांकन नहीं किया है, इसलिए दोबारा मूल्यांकन किया जाय। व्यापार संघ अध्यक्ष खांकरा बुद्धिबल्लभ ममगाई ने कहा कि खांकरा में तीसरे पुल को निरस्त कर खांकरा बाजार और पूरी बच्छणस्यू पट्टी के अस्तित्व को बचाया जाना जरूरी है। हमारी इस मांग पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है।
इस मौके पर जन अधिकार मंच के वरिष्ठ सदस्य के पी ढोंडियाल, जिला व्यापार संघ महामंत्री महावीर भट्ट, व्यापार संघ अध्यक्ष कांता नौटियाल, महामंत्री नरेंद्र बिष्ट, मंत्री जगमोहन सिंह बिष्ट, बृजमोहन सिंह बिष्ट, उपाध्यक्ष, सुनील चमोली, श्याम मोहन शुक्ला, सुमाड़ी अध्यक्ष विक्रम सजवाण, अगस्त्यमुनि अध्यक्ष मोहन सिंह रौतेला, चंद्रापुरी अध्यक्ष हिम्मत सिंह गुसाईं, दलवीर सिंह भंडारी, अनसूया प्रसाद भट्ट, किशोर सिंह सजवाण, अरविंद गोस्वामी, दीपक सिंह नेगी, बादल रावत, जितेंद्र खन्ना, उपेंद्र बर्त्वाल, योगम्बर सिंह कुनियाल समेत बड़ी संख्या में व्यापारी मौजूद रहे। सभा का संचालन संघर्ष समिति के महामंत्री अशोक चौधरी ने किया।
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