बरेली। लोकसभा चुनाव 2024 के पांच चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। अब सिर्फ दो चरणों का ही चुनाव बचा है। मगर, इस चुनाव में सबसे अधिक (एम) फैक्टर का प्रयोग हुआ है। पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर भाजपा नेता बार-बार मुस्लिम, मंदिर, मंगलसूत्र, मटन और मछली को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में हैं। मगर, इंडिया गठबंधन के नेता मोदी, महंगाई और महिलाओं को मुद्दा बना रहे हैं। वह पीएम मोदी पर झूठ बोलने से लेकर बढ़ती महंगाई और महिला विरोधी होने के आरोप लगाकर चुनावी फायदा ले रहे हैं।
महिला उत्पीड़न में सबसे अधिक कर्नाटक के रेवन्ना के साथ पीएम के मंच साझा करने और एनसीआरबी के आंकड़ों को पेश कर महिला उत्पीड़न को मुद्दा बनाया। इंडिया गठबंधन के दलों ने सबसे अधिक संविधान बचाने और पीडीए कार्ड को खेला है। क्योंकि, देश में 90 फीसद पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक मतदाता हैं। हालांकि, पीडीए का आगाज सपा ने यूपी में पीडीए पंचायत कर किया था। इसका फायदा भी मिलता नजर आ रहा है।
लोकसभा चुनाव में सबसे पहले पीएम नरेंद्र मोदी एम फैक्टर लाए। उन्होंने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह पर देश के संसाधनों पर पहला हक मुस्लिमों का होने का आरोप लगाया। इसके बाद कांग्रेस नेताओं ने जनता के सामने सच रखा। यह आरोप झूठे निकले।इसके बाद मंगलसूत्र आ गया है। मगर, यह भी झूठा साबित हुआ। तीसरे चरण में ही यह भी फेल साबित हुआ। मटन मछली आदि तक के मुद्दों को जमकर उठाया है। इसी बीच हर चुनाव की तरह पाकिस्तान की इंट्री हुई। मगर, इंडिया गठबंधन ने यह भी मुद्दा नहीं बनने दिया।
संविधान और देश बचाओ का नारा
इंडिया गठबंधन के नेताओं ने शुरू से ही संविधान बचाने का मुद्दा उठाया। यह मुद्दा पहले ही चरण से सफल साबित हुआ। भाजपा के कर्नाटक के सांसद अनंत कुमार हेगड़े ने 10 मार्च को 400 सीट आने पर संविधान खत्म करने की बात कही। इसके बाद मेरठ से भाजपा प्रत्याशी अरुण गोविल ने भी संविधान बदलने की बात कह डाली। राजस्थान और गुजरात के नेताओं ने भी संविधान पर उंगली उठाई। इसके बाद इंडिया गठबंधन के नेताओं ने भाजपा से संविधान और जान बचाने की बात कही। इसका फायदा सीधे तौर पर मिलता दिखाई दे रहा है।
कोरोना वैक्सीन और इलेक्टोरल बॉन्ड भी बना मुद्दा
भाजपा के खिलाफ इंडिया गठबंधन के नेताओं ने इलेक्ट्रोल बॉन्ड के माध्यम से वसूली का आरोप लगाया। इलेक्टोरल बॉन्ड से लॉटरी वाकिया और बॉन्ड लेकर ठेके देने, ईडी, सीबीआई की कार्रवाई से राहत देने के आरोप लगाए। मगर, यह मुद्दा खूब चल रहा है। इसके साथ ही गलत कोरोना वैक्सीन से जान जाने के आरोप लगाए। इसके साथ ही लोकल मुद्दे भी खूब चल रहे हैं।
जो कहीं न कहीं बीजेपी की धुरी को सत्ता से बाहर करने की आहट के रूप में सुनाई देने लगे हैं। शेष दो चरणों के चुनाव प्रचार में बीजेपी नेता 400 पार के नारे को बोलने से बचते नज़र आ रहे है। उनको अब आभास होने लगा है कि लोकतंत्र में सहज ही ऐसा होना असम्भव है। क्योंकि जनता महंगाई, बेरोजगारी और शिक्षा को लेकर किसी शिक्षित नेता की तलाश में है।