देहरादून: राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रतिभाग करते अतिथि व संस्थान के पदाधिकारी

देहरादून। सिद्धार्थ लॉ कॉलेज और सिद्धार्थ इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी में न्यायिक सृजनात्मकता एवं ड्रग डिस्कवरी पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ। सेमिनार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समेत विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई।

सेमिनार की शुरुआत मुख्य अतिथि उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओंकार सिंह ने की। उन्होंने न्यायिक क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं, शिक्षकों और छात्रों से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके आभासी न्यायिक सहायता प्रदान करने के लिए एक मंच बनाने का आह्वान किया। इसके लिए डिजिटल प्रारूप में अब तक उपलब्ध अदालती फैसलों के डेटाबेस का उपयोग करें और प्रारंभिक सलाह प्रदान करने के लिए एक एप्लिकेशन तैयार करें। प्रो. सिंह ने फार्मेसी शोधकर्ताओं को देश की सामाजिक और आर्थिक विषमताओं को ध्यान में रखते हुए आधुनिक तकनीक का उपयोग करके दवा की खोज पर काम करने के लिए भी प्रोत्साहित किया, ताकि अंतिम व्यक्ति को भी स्वस्थ जीवन जीने का अवसर मिल सके।

विशिष्ट अतिथि के रूप में हिमालय वेलनेस कंपनी के अध्यक्ष डॉ. एस. फारूक ने कहा कि भारत दुनिया में दवा उत्पादन में तीसरे और गुणवत्ता में 14वें स्थान पर है। दवा उत्पादन में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए निरंतर शोध जरूरी है। एपीटीआई उत्तराखंड शाखा अध्यक्ष राजीव शर्मा ने कहा कि फार्मा कंपनियों का उद्देश्य न केवल मुनाफा कमाना है,

बल्कि समाज में चिकित्सा व्यवस्था को समर्थन देना भी है। आरएस रिसर्च फाउंडेशन ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन एंड पॉलिसी के निदेशक डॉ. सुशील कुमार सिंह ने छात्रों को संविधानवाद के महत्व को सरल भाषा में समझाया। सिद्धार्थ लॉ कॉलेज के निदेशक वी.के. माहेश्वरी ने संविधानवाद के विषय को उत्कृष्ट बताया और इसके महत्व को समझने पर जोर दिया। संस्थान के अध्यक्ष दुर्गा प्रसाद वर्मा ने राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत अनुसंधान केंद्र बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विभिन्न संस्थानों में छोटे स्तर पर शोध करने से सकारात्मक परिणाम नहीं मिलते हैं, राष्ट्रीय स्तर पर प्लेटफार्म मिलने से शोध करने में आसानी होगी।

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