
दन्या। आजादी के 76 वर्षों बाद आज भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का गांव सुकना न केवल सड़क सुविधा से वंचित है, बल्कि यह फौजी बहुल गांव तमाम मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहा है। एक अदद सड़क मार्ग बनाए जाने की मांग सुकनावासी तथा अन्य क्षेत्रवासी सात दशकों से लगातार करते आ रहे हैं और आज भी कर रहे हैं, परंतु जनप्रतिनिधियों से लेकर संबंधित विभाग व सरकारों द्वारा इतनी अहम मांग पर विचार करने तक की जरूरत नहीं समझी गई।
पंचायत चुनावों से लेकर विधानसभा चुनावों में और लोकसभा चुनावों में हर बार क्षेत्रवासियों को पक्की सड़क बनाए जाने के अंतहीन आश्वासन जरूर मिलते रहे हैं, लेकिन परिणाम आज भी शून्य है। बार-बार ठगे जाते रहने से सुकना गॉव के लोग तथा सारे क्षेत्रवासी सरकारों, नेताओं, मंत्रियों और विभागीय अधिकारियों के सौतेले रवैये से हताश व आहत हैं।
उल्लेखनीय है कि जनपद अल्मोड़ा के जागेश्वर विधानसभा क्षेत्रांतर्गत विकासखंड धौलादेवी का दन्या क्षेत्र स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के त्याग एवं देश सेवा में योगदान के लिए जाना जाता है। क्षेत्र के अनेक युवा जहां आज भी भारतीय थल सेना, नौसेना तथा वायु सेना में रहकर राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं, वही सुकना गांव के 5 ऐसे पूर्व सैनिक व सैन्य अधिकारी हैं, जिनकी उम्र 80 वर्ष से अधिक हो चुकी है। सड़क मार्ग के अभाव में उनको अपनी पेंशन के लिए तथा दवा आदि घरेलू सामान के लिए पैदल चलकर या डोली के सहारे दन्या आना पड़ता है। क्षेत्र में स्कूल, अस्पताल, बैंक शाखा न होने के कारण सेवारत सैनिको के परिजनों व आम ग्रामीणों को हर काम के लिए दन्या कस्बे तक पैदल चलकर आना पड़ता है। बीमारी की स्थिति में रोगियों को डोली में लाना पड़ता है, जिसमें समय, श्रम व धन का अपव्यय होता है और बहुत सी परेशानियों से ग्रामीणों को गुजरना पड़ता है।
सड़क मार्ग की लगातार मांग के बाद वर्ष 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने दन्या के उधाणेश्वर महादेव मंदिर से दन्या-आरा-सल्पड़ नाम से 4 किमी सड़क मार्ग की घोषणा की थी। लंबे संघर्ष के बाद अंततः वर्ष 2022 में दन्या से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. देवीदत्त जोशी के गांव सुकना तल्ली चुपड़ा तक 4 किमी सड़क मार्ग स्वीकृत हुआ और प्रथम चरण में 2 किमी सड़क निर्माण हेतु बाकायदा 11.58 लाख रुपए की स्वीकृति भी हो गई थी। इतना ही नहीं, जेसीबी से सड़क कटान कार्य भी शुरू हो गया, परंतु देखते ही देखते अचानक काम रुक गया। निराश क्षेत्रवासियों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देवीदत्त जोशी के आश्रित व समाजसेवी दिनेश चंद्र जोशी की अगुवाई में पुनः संयुक्त हस्ताक्षरित एक ज्ञापन मुख्यमंत्री को प्रेषित किया है। इसके अनुक्रम में पीडब्ल्यूडी अल्मोड़ा के अधिशासी अभियंता ने वन भूमि की स्वीकृति व पेड़ों की कटाई में कानूनी अड़चन का हवाला देकर मुख्यमंत्री के दिशा निर्देशों से पल्ला झाड़ लिया। परिणामस्वरूप ग्रामीणों की समस्या जस की तस बनी हुई है।
यहां यह भी बताते चलें कि सुकना गांव में गोलू देवता का एक अत्यंत प्राचीन व पौराणिक मंदिर स्थित है। इस चमत्कारिक मंदिर की महिमा जानकर देश-विदेश के अनेक श्रद्धालु व यहां पूजा, अनुष्ठान व दर्शनार्थ आते रहते हैं। आवागमन के लिए सड़क मार्ग न होने के कारण जनपद मुख्यालय का यह नजदीकी क्षेत्र वर्षों से विकास की उम्मीद लगाए अब नाउम्मीदी व निराशा में नियति को भी कोसने को विवश हो चला है। देखने वाली बात होगी कि घर घर विकास का दावा करने वाली धामी सरकार आखिर कब इस क्षेत्र की पीड़ा को समझेगी।
भारतीय सेना के पूर्व जनरल का भी हैकरीबी रिश्ता
भारतीय सेना के पूर्व जनरल स्व. वीसी जोशी की भी इसी दन्या क्षेत्र में नजदीकी रिश्तेदारी रही है। इसके अलावा सेवानिवृत्त सीडीओ मोहन चंद्र जोशी भी सुकना गांव से ही आते हैं। वह भी क्षेत्र के विकास के लिए निरंतर संघर्षरत रहते हैं। तमाम अभावों व असुविधाओं के बावजूद इसे क्षेत्र के लोग बड़े जीवट वाले, संघर्षशील व सेवाभावी माने जाते हैं, परंतु शासन-सत्ता व जनप्रतिनिधियों की बेरुखी व सौतेले व्यवहार से आहत हैं।















