ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में कैबिनेट मंत्री मध्यप्रदेश सरकार कैलाश विजयवर्गीय पहुंचे। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से भेंट कर विभिन्न समसामयिक विषयों पर चर्चा की।
स्वामी जी ने ओंकारेश्वर में नर्मदा की आरती शुरू करने के लिए विजयवर्गीय को प्रेरित किया। स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय की सबसे बड़ी जरूरत और सबसे बडा इन्वेस्टमेंट हमें पर्यावरण संरक्षण के लिये करना होगा। उन्होंने नीलकंठ महादेव, कावंड़ यात्रा के विषय में चर्चा करते हुये कहा कि कांवड़ यात्रा के दौरान लाखों शिवभक्त आते हैं परमार्थ निकेतन उन्हें विभिन्न माध्यमों से यथा पौधों का वितरण, स्लोगन, पपेट शो, सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने के साथ ही कपड़े के बैग वितरित कर झोला आन्दोलन के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के लिये प्रेरित करता हैं।
ताकि यात्रा के साथ-साथ वे यहां से पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी लेकर जाए। कैलाश विजयवर्गीय ने स्वामी महाराज को ओंकारेश्वर महाकाल की धरती पर आने के लिये आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि जब भी आप से मिलते हैं नदियों पर आरती की शुरूआत का संदेश हम सभी को प्रेरणा प्रदान करता है। आज परमार्थ गंगा तट पर जो आरती का स्वरूप है वह आपके अद्भुत व्यक्तित्व व संकल्प का ही दिव्य परिणाम है। स्वामी चिदानंद ने हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का दिव्य पौधा कैलाश विजयवर्गीय को भेंट किया। इस अवसर पर अनीता ममगाई भी उपस्थित थी। स्वामी चिदानंद के अनुयायी व आश्रम के भक्त दिनेश शाहरा ने अपनी नूतन कृतियां भी विजयवर्गीय को भेंट की।
इनसेट– विजयवर्गीय ने लिया स्वामी कैलाशानंद गिरी से आशीर्वाद
हरिद्वार। हरिद्वार आए मध्य प्रदेश सरकार के नगरीय विकास एवं आवास तथा संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने श्री दक्षिण काली पहुंचकर मां दक्षिण काली की पूजा अर्चना की और निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज से आशीर्वाद लिया।
स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने माता की चुनरी व नारियल भेंटकर तथा रूद्राक्ष की माला और शॉल ओढ़ाकर उन्हें आशीर्वाद दिया। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि वरिष्ठ भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण संरक्षण संवर्द्धन में हमेशा योगदान दिया है। समाज को धर्म व अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर कर सनातन धर्म संस्कृति को विश्व पटल पर प्रचारित प्रसारित करने में संत महापुरूषों का उल्लेखनीय योगदान है। इस अवसर पर स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी, बाल मुकुंदानंद ब्रह्मचारी मौजूद रहे।