रायबरेली। रायबरेली की राजनीति में अगले 3 दिन महत्वपूर्ण होने वाले हैं। लोकसभा चुनाव को लेकर गांधी परिवार और भाजपा दोनों ही अपने पत्ते खोल देंगे। उम्मीदवारों का ऐलान होते ही चुनाव की गर्मी बढ़ जाएगी। पिछले चुनाव में गांधी परिवार की पारंपरिक सीट अमेठी को कांग्रेस मुक्त करने के बाद इस बार भाजपा का लक्ष्य गांधी परिवार की दूसरी और महत्वपूर्ण पारंपरिक सीट रायबरेली को भी कांग्रेस मुक्त करने का है। उधर कांग्रेस को गांधी परिवार से भावनात्मक रिश्तों और संगठन की मजबूती के चलते भरोसा है कि विरोधी दल अपनी जमानत भी नहीं बचा पाएंगे।
लोकसभा चुनाव में विजय पताका फहराने के लिए कांग्रेस और भाजपा के बीच डाल-डाल पात-पात का खेल चल रहा है। इसीलिए कांग्रेस और भाजपा दोनों ही एक दूसरे के प्रत्याशी की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं। यही वजह है कि नामांकन प्रक्रिया प्रारंभ होने के तीन दिन बाद तक दोनों ही दलों की उम्मीदवारी साफ नहीं हो पाई है। लेकिन अगले तीन दिन रायबरेली की राजनीति के लिए अहम होंगे, क्योंकि 3 में तक ही नामांकन होने हैं।
इसलिए माना जा रहा है कि 2 तारीख तक दोनों ही डाल अपने-अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर देंगे। उम्मीदवारों के नाम का ऐलान होते ही चुनावी सर गर्मी तेज हो जाएगी। रायबरेली को कांग्रेस मुक्त करने के लक्ष्य को पाने के लिए विधानसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा संगठन पूरी तरह से सक्रिय है। सरकारी मशीनरी की भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका रही। वर्तमान में भाजपा संगठन विधानसभा क्षेत्र स्तर पर गठित की गई चुनाव संचालन समितियों को सक्रिय बनाने में जुटा है।
समितियां के कार्यों की समीक्षा जिला अध्यक्ष से लेकर लोकसभा क्षेत्र प्रभारी तक कर रहे हैं।भाजपा के जिलाध्यक्ष बुद्धिलाल पासी का कहना है कि हर पन्ना प्रमुख को 60-60 मतदाताओं की जिम्मेदारी दी गई है।उधर कांग्रेस संगठन भी काफी समय से जनता के बीच अपनी सक्रियता बनाए हुए हैं। आज फोन पर बात करते समय कांग्रेस के जिला अध्यक्ष पंकज तिवारी गांव में लोकसभा क्षेत्र प्रभारी इंदल रावत के साथ कांग्रेस का गारंटी और न्याय पत्र घर-घर बांटने में जुटे थे। उनका कहना है कि घर के हर मतदाता से कांग्रेस के बूथ स्तर तक के कार्यकर्ता मिलकर नीतियों और गांधी परिवार के काम को बता रहे हैं। भाजपा चाहे जितनी कोशिश कर ले उसको जमानत बचाने मुश्किल हो जाएगी।