जयपुर । मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट, महानगर-द्वितीय ने एसआई पेपर लीक मामले में 12 आरोपियों को सशर्त जमानत पर रिहा कर दिया है। अदालत ने माना कि इन आरोपियों को बिना नोटिस दिए गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा उन्हें कस्टडी में लेने के 24 घंटे में अदालत में पेश नहीं किया गया। ऐसे में उन्हें हिरासत में रखना अवैध माना जाएगा। अदालत ने 11 ट्रेनी एसआई सुरेंद्र, दिनेश, भालाराम, राकेश, सुभाष, अजय, जयराज, मनीष, मंजू, चेतन, हरखू और कांस्टेबल अभिषेक को तत्काल रिहा करने के आदेश देते हुए गृह सचिव और डीजीपी को कहा है कि वह दोषी अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करें। अदालत ने यह आदेश आरोपियों की ओर से पेश प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एसओजी को आरोपियों की कोर्ट में पेशी के लिए तय किए गए प्रावधानों की पालना करने का निर्देश दिया था, लेकिन एसओजी के अफसर इन निर्देशों के प्रति गैर जिम्मेदार रहे और उन्होंने सीआरपीसी की धारा 57 व धारा 41 ए के कानूनी प्रावधानों का पालन नहीं किया। इससे लगता है कि एसओजी के अफसरों को उनके खिलाफ कार्रवाई से डर नहीं लगता। कोर्ट इन दो दलीलों पर नहीं जाना चाहती कि यह मामला पूरी तरह से राजनीतिक है और आरोपियों को किसी समुदाय विशेष का होने के चलते टारगेट किया है। कोर्ट केवल संवैधानिक व कानूनी प्रावधानों पर ही जा रहा है।
प्रार्थना पत्र में अधिवक्ता विपुल शर्मा व अन्य ने अदालत को बताया कि 11 ट्रेनी एसआई को गत 2 अप्रेल की सुबह आरपीए से एसओजी ने हिरासत में लिया और उन्हें 3 अप्रेल की शाम को गिरफ्तार दिखाया गया। इसी तरह आरोपी अभिषेक को 31 मार्च को हिरासत में लेकर उसकी गिरफ्तारी 3 अप्रेल को दिखाई गई। वहीं आरोपियों को गिरफ्तारी से पूर्व सीआरपीसी की धारा 41-क का नोटिस भी नहीं दिया गया। जबकि कानून में प्रावधान है कि आरोपी को 24 घंटे के भीतर अदालत में पेश किया जाएगा और सात साल से कम सजा वाले अपराध में गिरफ्तारी से पूर्व आरोपियों को नोटिस दिया जाएगा। इस मामले में एसओजी ने इन दोनों प्रावधानों की अवहेलना की है। ऐसे में आरोपियों को रिहा किया जाए। वहीं पर्याप्त समय देने के बाद भी सरकारी वकील और एसओजी की ओर से अदालत में कोई जवाब पेश नहीं किया गया। जांच अधिकारी और सरकारी वकील ने कहा कि जांच एजेंसी को संदिग्ध व्यक्ति से पूछताछ का अधिकार है।