कट सकता है आठ बार के सांसद संतोष का टिकट!

किसी दूसरे चेहरे पर भाजपा जता सकती है भरोसा

भास्कर ब्यूरो
बरेली। लग रहा है भारतीय जनता पार्टी में संतोष युग के समापन का वक्त अब आ चुका है। अगर कोई बड़ी अड़चन नहीं आई तब बहेड़ी के विधायक रहे पूर्व मंत्री क्षत्रपाल गंगवार भारतीय जनता पार्टी के टिकट से सांसदी के नए उम्मीदवार होंगे। सांसद संतोष गंगवार भी दिल्ली में हैं। पता चला है कि बरेली की सीट पर अब आखिरी फैसला खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेना है। अगले 24 से 48 घंटे के बीच टिकट का ऐलान होना संभव है।


गुरुवार शाम तक छन छन कर आ रही खबरों ने साफ कर दिया है कि आठ बार के सांसद संतोष गंगवार की संसद की यात्रा पर अब ब्रेक लगाया जा सकता है। वह रात दिन अपनी तैयारी कर रहे थे, लेकिन अंदर ही अंदर पार्टी के नेताओं का एक वर्ग उनके खिलाफ ताना बाना बुनता रहा। कई दावेदार सामने आये लेकिन लखनऊ से दिल्ली तक के फैसला लेने वाले अपने अपने गुणा गणित लगाते रहे। यह माना जा रहा है कि बहेड़ी के विधायक रहे पूर्व मंत्री क्षत्रपाल गंगवार की मजबूत पैरवी ने उनको टिकट के लगभग पास लाकर खड़ा कर दिया है।


बरेली की सीट पर चर्चाओं और दावेदारी में कई नाम रहे हैं। इनमें मेयर डा. उमेश गौतम, पीलीभीत के मंत्री संजय गंगवार, व्यवासायी रमेश गंगवार शिक्षाविद डा. हरिशंकर गंगवार, प्रदेश के बड़े मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह का नाम प्रमुख रहा। हाल ही में सांसद संतोष गंगवार की बेटी श्रुति गंगवार का नाम भी तेजी से उछला। लेकिन अब सूत्र बता रहे हैं कि पार्टी का टिकट तय करने की प्रक्रिया में लगे नेताओं ने बहेड़ी के पूर्व विधायक क्षत्रपाल गंगवार का नाम पैनल में भेजा है। क्षत्रपाल से पहले विधायक व प्रदेश में मंत्री भी रहे हैं। बहेड़ी बरेली जिले का विधानसभा क्षेत्र है लेकिन आता पीलीभीत की लोकसभा में है। 2022 का विधानसभा चुनाव क्षत्रपाल गंगवार मामूली अंतर से समाजवादी पार्टी से हार गए थे।


उधर सांसद संतोष गंगवार दिल्ली में हैं। वह पार्टी के कई बड़े नेताओं से मिल चुके हैं। उनकी वरिष्ठता और लंबे ट्रैक रिकार्ड को देखते हुए अब उनके टिकट पर फैसला संतोष गंगवार के बाद खुद हाईकमान यानी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेना है। लेकिन सूत्रों से छनकर आई खबरों के मुताबिक क्षत्रपाल गंगवार सबसे मजबूत दावेदार बनकर उभरे हैं। अगर सांसद संतोष गंगवार का टिकट कटता है तब यह बरेली के लिए भाजपा के एक सफल युग का समापन होगा। हालांकि कई प्रकार के किंतु और परन्तुओं के बीच भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को भी टिकट काट पाने का फैसला लेना एकदम से आसान नहीं होगा।

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