सीतापुर। योगी सरकार ने गोवंश पालकों के भरण पोषण की राशि 30 रुपये से बढ़ा कर 50 रुपये तो जरूर कर दी है। लेकिन इसका लाभ गोपालकों और बैलों से खेती-पाती वाले किसानों को नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में गोपालन को घाटे का सौदा मानकर लोग गोवंश को बेसहारा छोड़ रहे हैं।
क्षेत्रीय गांवों के गोपालक व बैलों से खेती बाड़ी करके परिवार की आजीविका चलाने वाले किसान रामचंद्र यादव, शिवपारी, कमलेश यादव, खुशीराम, रामसागर, शिवकुमार भार्गव, लक्ष्मीकांत, कैलाश निषाद, आशा देवी, विनोद भार्गव, राजाराम भार्गव, राजकुमार, महेश, छन्नू लाल, बैजनाथ, गुरुप्रसाद, जगदीश, सोनेलाल, दुर्गा, रामकिशोर, शिवराज यादव, रामकुमार, शिवदयाल, संतोष यादव, रामपाल, जगतपाल, हरिवंश, नन्हेंलाल, विश्वनाथ, प्यारेलाल, शिव शंकर, सरोज, जयराम, प्रकाश, पट्टे,रमाशंकर, राजिंदर, मुन्नीलाल, रामपाल, कमलेश, सत्रोहनलाल, छन्ने, हरिनाम, रामप्यारी, दिनेश, बलिराम आदि सैकड़ो गोपालक व किसानों ने बताया कि वह इस उम्मीद से अब तक गोवंश का पालन कर रहे हैं
कि उन्हें भी सरकारी सहायता का लाभ जरूर मिलेगा लेकिन पशुपालन विभाग के अधिकारियों की मनमानी से उन्हें अब तक सरकारी लाभ जो कि अब 50 रुपया हो गया है नहीं मिल पा रहा है। योगी सरकार के द्वारा गोवंश पालन के लिए मिलने वाले लाभ को पाने के लिए वह पशुपालन और ब्लॉक के अधिकारियों तक दौड़ लगाकर थक चुके हैं लेकिन उन्हें सरकारी सहायता के नाम पर अब तक एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिल पाई है। अब पशुपालन विभाग और सरकारी अधिकारियों की इसी मनमानी कार्यशाली के चलते बड़ी संख्या में गोपालक गोपालन को घाटे का सौदा मानकर गोवंश को बेसहारा छोड़ने के लिए विवश हो जाते हैं।
इनसेट
क्या कहते हैं जिम्मेदार
डॉ राजेश प्रसाद पशु चिकित्साधिकारी सांडा का कहना है की शासन की गाइडलाइन के अनुसार गौशालाओं में संरक्षित पशुओं को ही सुपुर्दगी में देने का नियम है सड़क पर या लावारिस अवस्था में टहल रहे जानवरों की सुपुर्दगी किए जाने का आदेश हमें नहीं मिला है आम लोगों को सुपुर्दगी किए जाने का एक प्रक्रिया है उसके तहत जो भी व्यक्ति चाहे वह एक व्यक्ति चार जानवरों तक की सुपुर्दगी ले सकता है। मामले को लेकर मुख्य विकास अधिकारी सीतापुर निधि बंसल के सरकारी फोन पर जब बात की गई तो स्टेनो ने बताया की मैडम किसी कार्यक्रम में है।