सीतापुर। जिला ही नहीं बल्कि प्रदेश भर में विलुप्त हो रही लोक कला संस्कृति को पुर्नजीवित करने के उद्देश्य से शासन ने नई रणनीति बनाई है। प्रदेश के कुछ जिलों में दस-दस तथा कुछ जिलों में पांच-पांच ग्राम पंचायतों में संस्कृति विभाग वाद्य यंत्र वितरित करेगा। जिन्हें ग्राम पंचायतों द्वारा युवा पीढ़ी को स्थानीय कला संस्कृति कृत विधाओं को प्रोत्साहित करने वाली गतिविधियों, कार्यकमों, प्रशिक्षणों को आयोजित कर बढ़ावा देने के लिए प्रयोग किया जाएगा।
डीपीआरओ मनोज कुमार ने बताया कि जिले की जिन पांच ग्राम पंचायतों को चिन्हित कर नाम शासन को भेजा गया है उनमें विकासखंड गोंदलामऊ का कोदिकापुर, गोपालपुर पश्चिमी, ब्लाक बिसवां का टिकरा तथा देवकलिया एवं महोली का ब्रम्हावली शामिल है।
डीपीआरओ मनोज कुमार ने बताया कि वाद्ययंत्रों का उपयोग
उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक उन्नयन, सांस्कृतिक विरारात का रक्षण, पर्यटन संवर्धन, स्वच्छ भारत मिशन, सर्व शिक्षा अभियान, महिला सशक्तिकरण, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ, ग्रामीण संस्कृति को अक्षुण्ण रखने तथा सरकार द्वारा संचालित लाभार्थी योजनाओं के प्रचार-प्रसार इत्यादि हेतु भी किया जा सकेगा।
कौन-कौन से दिए जाएंगे वाद्य यंत्र
डीपीआरओ मनोज कुमार ने बताया कि पांच ग्राम पंचायतों को एक-एक सेट वाद्ययंत्रों हारमोनियम, ढोलक, झांज, मंजीरा, करताल अथवा घुंघरू इत्यादि का कय कर संस्कृति विभाग, उ०प्र० द्वारा अनुदानित किया जायेगा। जनहित में लोक कलाकारों के हितार्थ एवं प्रोत्साहन के दृष्टिगत वाद्ययंत्रों के कय हेतु शत-प्रतिशत धनराशि विभाग द्वारा वहन की जायेगी।
इन लोगों को वाद्य यंत्र बजाने की होगी प्राथमिकता
डीपीआरओ मनोज कुमार ने बताया कि भजन कीर्तन मण्डली, गुरू शिष्य परम्परा, स्थानीय लोकगीत, लोकनृत्य भजन, संस्कार गीत, नुक्कड़ नाटक आदि सांस्कृतिक कार्यक्रमों का निरंतर संचालन/आयोजित करने वाली ग्राम पंचायतों को वाद्ययंत्र अनुदान दिये जाने में प्राथमिकता दी जायेगी। वाद्ययंत्रों के रख-रखाव एवं मरम्मत का दायित्व संबंधित ग्राम पंचायत का होगा। प्रत्येक ग्राम पंचायत द्वारा ग्रामसभा के सदस्यों/कलाकारों द्वारा मांगे जाने पर वाद्ययंत्र सांस्कृतिक आयोजनों हेतु उपलब्ध कराये जायेगें जिसका अंकन एक पृथक रजिस्टर में किया जायेगा।