सीतापुर। दिसंबर का महीना बीतने को है। दिसंबर पूरा होते ही तीन माह धान खरीद को हो जाएगंे लेकिन सरकारी धान की खरीद इस बार फीकी नजर आ रही है। अभी तक सरकारी धान की खरीद लक्ष्य के सापेक्ष महज 35 प्रतिशत ही हो पाई है। जबकि मंडी में व्यापारियों की आढ़तें धान की आवक से फुल है। मंडी में फड़ों पर धान पटा पड़ा है।
व्यापारी धान की जमकर खरीदारी कर रहे है। इसके पीछे का कारण किसानों द्वारा सरकारी मानकों का पूरा ना कर पाना है।बताते चलें कि जिले में सरकारी धान का लक्ष्य इस बार 245000 मीट्रिक टन है। जिसके सापेक्ष सरकारी एजेंसियों द्वारा अब तक 19 दिसंबर तक महज 86035 मीट्रिक टन की ही खरीद पाया है जो कि खरीद के सापेक्ष महज 35.12 प्रतिशत है। जबकि वहीं दूसरी तरफ मंडी में व्यापारियों के फड़ पर धान की जमकर आवक हो रही है।
इतना धान आ रहा है कि व्यापारी खरीद नहीं पा रहा है। इसके पीछे का कारण सरकारी नियमों का झंझट बताया जाता है। बताते चलें कि जबकि सरकारी धान की लिवाली प्राइवेट लिवाली से कहीं अधिक है। सरकारी धान की खरीद का भाव 2183 रूप्या है जबकि मंडी में 2060 रूप्या कामन धान 20 दिसंबर को बिका है।
अब आप खुद ही अंदाजा लगाइये कि सरकारी भाव अधिक होने के बाद भी किसान मंडी में धान क्यों ले जा रहा है।किसानों से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सरकारी केंन्द्रों पर धान को इस तरह से खरीदा जहाता है जैसे खसरा सोना। उसमें नमी कितनी, किस ब्राइटी का है, पंखा लगाया जाता है जिससे एक कुंटल में पांच किलो के आसपास धान उड़ जाता है यह नुकसान अलग, वहीं थोड़ा दागी होने पर उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है, आन लाइन पंजीकरण होने पर ही धान लेंगे समेत कई खामियां भी किसानों ने गिनाई।
किसानों का कहना था कि वहीं इससे उलट व्यापारियों के फड़ पर ऐसा कुछ भी नहीं। ना तो पंखा लगाया जाता और ना ही कोई नियमावली, बस धान लेकर जाओ, दाम बताएंगे और शाम को पैसा मिल जाता है। इससे व्यापारियों के यहां धान बेचने में आराम है। इस बारे में जब जिला विपणन अधिकारी रत्नेश शुक्ला से वार्ता की गई तो उन्होंने बताया कि सरकारी धान की खरीद 2183 में की जा रही है। अब तक 86035 मीट्रिक टन की खरीद हो चुकी है। केंन्द्र पर आने वाले सभी किसानों का नियमानुसार धान खरीदा जा रहा है।