
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की 88वीं एनुअल जनरल मीटिंग (AGM) में लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों में बदलाव को मंजूरी दे दी है। यह फैसला इसलिए लिया गया ताकि उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों के कार्यकाल को बढ़ाया जा सके। फैसले की मंजूरी के लिए BCCI सुप्रीम कोर्ट जाएगी। अगर इसे मंजूरी दी जाती है तो BCCI के अध्यक्ष गांगुली का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है।
वर्तमान संविधान के अनुसार, एक पदाधिकारी जिसने बीसीसीआई या राज्य संघ में दो-तीन साल की सेवा की है, उसे अनिवार्य रूप से तीन साल के ब्रेक (कूलिंग-ऑफ पीरियड) में जाना होता है। पदाधिकारी चाहते हैं कि यह ब्रेक बोर्ड और राज्य संघ में दो कार्यकाल (6 साल) अलग-अलग पूरे करने पर हो। बोर्ड यह भी चाहता है कि अदालत संवैधानिक संशोधनों पर भविष्य के फैसलों से बाहर रहे और उसने प्रस्ताव दिया है कि एजीएम में तीन-चौथाई बहुमत अंतिम फैसला लेने के लिए पर्याप्त होगा।
The 88th BCCI AGM took place at the BCCI headquarters in Mumbai today. pic.twitter.com/Z3YaD8OKiF
— BCCI (@BCCI) December 1, 2019
अधिकारियों का मानना है कि हर संशोधन के लिए सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी लेना ‘व्यावहारिक’ नहीं है, जो वर्तमान में मौजूदा संविधान के अनुसार होना चाहिए। पिछले 3 साल में आईसीसी में बीसीसीआई का रुतबा काफी कम हुआ है। बोर्ड चाहता है कि 70 साल आयु सीमा का नियम लागू न हो। बोर्ड का मानना है कि आईसीसी में कोई अनुभवी व्यक्ति बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व करेगा।
अगर एजीएम के प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो फिर सौरव गांगुली अगले पांच साल तक बीसीसीआई के अध्यक्ष बने रह सकते हैं। गांगुली को अक्टूबर में अध्यक्ष चुना गया था और उनका 9 महीने का कार्यकाल अगले साल जुलाई में खत्म हो रहा है। प्रस्ताव को मंजूरी के बाद उनका कार्यकाल 2024 तक बढ़ाया जा सकता है। गांगुली ने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल का भी नेतृत्व किया है। इस मंजूरी के बाद सचिव जय शाह के कार्यकाल को बढ़ाने का रास्ता भी साफ हो जाएगा।















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