फतेहपुर : असल किसानो को नहीं मिल पाता अनुदान और योजनाओ का लाभ

दैनिक भास्कर ब्यूरो ,

औंग, फतेहपुर । खेत की जुताई, बुवाई, निराई, खेतों में पानी लगाना, दवा का छिड़काव, फसल पकने के बाद कटाई, मड़ाई और उसे बाद फिर खेत में दूसरी फसल की योजना बनाने वाला किसान जिसके नाम न ही खेत होते हैं और न ही खतौनी। फिर भी किसान है जिसके बिना अनाज का उत्पादन असम्भव है। वहीं कई गावों, कस्बों में ऐसे खतौनी धारक किसान हैं जिनके वातानुकूलित मकान, कार्यालय व गाडियां होती हैं, जो कभी खेत नहीं जाते हैं।

दूसरी तरफ खेतों में काम करने वाला गांव का भूमिहीन किसान मेहनत करके अनाज पैदा करता है, लेकिन उसे अनुदान प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा निर्धारित पात्रता के अनुसार किसान का दर्जा प्राप्त नहीं है। या यूं कहें कि अभी तक देश प्रदेश में किसान की सही परिभाषा ही तय नहीं हो पाई है। इसी कारण किसान के नाम का अनुदान खतौनी धारक पूंजीपतियों को मिल रहा है। और किसान हमेशा से लकीर का फकीर बना हुआ है।

किसान के नाम पर निकलने वाले अनुदान –

उर्वरक सब्सिडी के अन्तर्गत पोटाश में 2.38 रुपए व सल्फर में 1.89 रुपए प्रति किलोग्राम छूट मिलती है। मैनुअल कृषि यंत्र किट पर 80 प्रतिशत अनुदान जिसमें हंसिया, खुरपी, बीडर तथा अन्य यंत्र की लागत में एक हजार पर आठ सौ रुपए की छूट मिलती है। प्रधानमंत्री योजना के तहत किसानों को सब्सिडी पर ट्रैक्टर उपलब्ध कराया जाता है जिसमें 50 प्रतिशत की छूट सीधे खतौनी धारक किसान के खाते में ट्रान्सफर होती है। इसके अतिरिक्त स्प्रिंकलर सेट, बोरिंग, हाईब्रिड बीज आदि में मिलने वाले अनुदान का लाभ खेतों में काम करने वालों को न मिलकर जमीन मालिकों को मिलता है।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की पात्रता सर्कुलर के मुताबिक खेती बाड़ी करने वाले भूमिहीन किसान इस योजना से वंचित हैं। वहीं छोटे व जरूरतमंद बिस्वा, दो बिस्वा, बीघा, दो बीघा खतौनी धारक किसानों को भी इन योजनाओं व अनुदान की जानकारी तक नहीं हो पाती। यदि किसी तरह से जानकारी हो भी गई तो अत्यधिक कम भूमि वाले किसान अधिकारियों को खुश भी नहीं कर पाते हैं इसीलिए इनको अनुदान का लाभ नहीं मिल पाता है।

लक्ष्य पूर्ति करने के लिए कृषि विभाग बड़े जमींदारों को छूट का लाभ दिलवा देते हैं। आजकल इस अनुदान से प्राप्त ट्रैक्टर प्रत्येक मार्ग में किसानी के कार्यों में कम व्यावसायिक कार्यों में अधिक प्रयोग होते हुए देखे जा रहे हैं। ईंट भट्ठों, कोटेदार, मिट्टी व मोरंग खनन, किराना की दुकान आदि कामर्शियल कामों में छूट से लिए गए ट्रैक्टरों का बड़े धड़ल्ले के साथ इस्तेमाल किया जा रहा है।

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