दैनिक भास्कर ब्यूरो ,
फतेहपुर । डीएपी खाद की भारी किल्लत को लेकर किसानों के मस्तक में चिन्ता की लकीरें देखी जा रही हैं, रबी की फसल बुवाई का समय चल रहा है किसान को बिजली पानी के साथ खाद की भारी आवश्यकता है लेकिन समितियों में डीएपी खाद नहीं है। सरकारी दुकानों में ताला लगा है। खाद दुकानदार मनमानी कर रहे हैं। पिछड़ती गेहूं की बुवाई को लेकर किसान परेशान है। दुकानों के चक्कर काट कर थकहार किसान डीएपी का सब्स्टीट्यूट खाद बोने को लाचार है।
रात के अंधेरे में दुकानदार इसे वही डीएपी बताकर बिक्री कर रहे हैं। रावतपुर, थानपुर, शिवराजपुर, आशापुर, सगुनापुर, अभयपुर, कौड़िया, गलाथा आदि कटरी के गांवों में नकली और सब्स्टीट्यूट खाद भोले भाले किसानों को दुकानदार बेंच रहे हैं। असली खाद के स्थान पर इस तरह की खाद बिक्री करके औंग क्षेत्र में किसानों को ठगने का धंधा चरम सीमा पर है।
रबी फसल की बुवाई में देरी होने का फायदा दुकानदारों द्वारा उठाया जा रहा है । इतना ही नहीं सबस्टीट्यूड डीएपी खाद के साथ बीज, व नैनो यूरिया थोप भी जबरन दे रहे हैं। डीएपी को लेकर किसान बेबस और लाचार है ।
स्थानीय कस्बे के शिक्षित किसान रोहित सिंह ने बताया है कि पलेवा के बाद अब खाद की जरूरत आ गई है। खाद न मिलने से बुवाई के लिए विलम्ब हो रहा है।सादीपुर गांव के किसान राजभान सिंह परिहार ने बताया कि असली और नकली की पहचान किसान नहीं कर पा रहे हैं। दुकानों में डीएपी के लिए किसान सुबह शाम चक्कर लगा रहे हैं ।
ग्राम गलाथा निवासी किसान कल्लू ने बताया कि रेट से अधिक मूल्य के साथ रात में कुछ दुकानदारों के द्वारा बिक्री की जा रही है। ग्राम गलाथा के किसान मोहनलाल का कहना है कि लोकसभा चुनावों के मद्देनजर जानबूझ कर डीएपी की किल्लत पैदा की गई है ताकि किसान नाराज होकर सरकार के विपरीत हो जाएं।
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