दैनिक भास्कर ब्यूरो ,
फ़तेहपुर । सरकार भले ही गाँवो को शहरों की तरह विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए न सिर्फ प्रयासरत हो बल्कि विभिन्न विकास योजनाओं के माध्यम से गांव का विकास कर उन्हें साफ सुथरा बनाने की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान व पँचायत सेक्रेटरी को सौंपी हो। लेकिन सरकार के जिम्मेदार ही सरकार की विकास योजनाओं को पलीता लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला जगदीशपुर मजरे पाही गांव का प्रकाश में आया है जहां के बाशिन्दे जहां आज भी जीवन की मूल भूत सुविधाओं से वंचित हैं। गांव में साफ सफाई के अभाव में गंदगी का अम्बार लगा हुआ है। नालियों में सिल्ट जमा होने के कारण उफनाकर नालियों का पानी सड़को में बह रहा है। जिससे सड़कें व गलियारे भी दलदल युक्त रास्तों में परिवर्तित हैं।
जिनमे आवागमन करना जान जोखिम में डालने के बराबर है। वहीं गाँव में जगह जगह लगे कूड़े के ढेरों से निकलने वाली बदबू के कारण लोगो का खुली हवा में सांस लेना भी दूभर है जबकि गंदगी व जलजमाव के कारण लोगो मे मच्छर जनित संक्रामक बीमारियों से ग्रसित होने का खतरा भी बना रहता है। लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।
ग्रामीणों ने इन सबकी मुख्य वजह गांव में तैनात सफाई कर्मी का नियमित रूप से ड्यूटी देने व साफ सफाई करने की बजाय घर बैठे मुफ्त का वेतन उठाया जाना व ग्राम प्रधान एवं पँचायत सेक्रेट्री का मनमानी पूर्ण रवैया बताया है। जबकी ग्रामीणों ने गांव में ब्याप्त विकराल समस्याओ के बावत ब्लॉक ही नहीं बल्कि तहसील व जिला स्तरीय जिम्मेदार अधिकारियों को भी लिखित एवं मौखिक रूप से कर समस्या निस्तारण की मांग की। लेकिन किसी ने भी ग्रामीणों का स्थाई हल निकालना मुनाशिब नहीं समझा। जनप्रतिनिधियों ने भी पूरी तरह गांव की समस्याओं के प्रति उदासीनता दिखाई है। नतीजतन यथा स्थित आज भी जस की तस बनी हुई है। गांव के बाशिंदे नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।
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