लखीमपुर। खीरी चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए मनरेगा से जुड़े अफसर अपनी आंखें बंद कर लेते हैं। केंद्र और राज्य सरकार भले ही कर चोरी रोकने को लेकर सख्त रुख अपना रही हो। लेकिन मोहम्मदी विकास खंड में जिम्मेदारों ने एक ऐसी फर्म को लाखों रुपये का भुगतान कर दिया, जिसका जीएसटी में रजिस्ट्रेशन ही नहीं है। खास बात यह है कि अधिकतर अफसरों को फर्म के जीएसटी में पंजीकरण न होने की जानकारी है लेकिन फिर भी चुप्पी साधे हैं।
मनरेगा के तहत कराए जाने वाले विकास कार्यों में दो तरह का भुगतान किया जाता है। निर्माण कार्य में लगने वाले मजदूरों को श्रमांश से भुगतान किया जाता है, जबकि निर्माण सामग्री का भुगतान सामग्री अंश से किया जाता है। सामग्री का कार्य करने के लिए विभिन्न फर्मों व वेंडरों को मनरेगा में रजिस्ट्रेशन कराना होता है। साथ ही इसके लिए जीएसटी नंबर होना भी आवश्यक है। ऐसे ही मामले से संबंधित एक मामले को लेकर मोहम्मदी निवासी एक जागरूक नागरिक ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है।
शिकायत में बताया कि जिले के मोहम्मदी विकास खंड में अफसरों ने सामग्री का काम करने वाली फर्म के नाम पर बड़ा खेल कर दिया। एमएस राजेश कुमार कांट्रेक्टर एंड सप्लायर जिसका जीएसटी नंबर (09CZVPK7291R1ZV) के नाम से फर्म मनरेगा में सामग्री अंश का कार्य करने के लिए पंजीकृृत कराई गई थी। दिसंबर 2020 में फर्म निरस्त हो गई । इसके बावजूद इस फर्म को वित्तीय वर्ष 2020-21, 2021-22, 2022-23 व 2023-24 में ब्लॉक में मनरेगा के जिम्मेदारों ने खूब काम दिया।
इन वित्तीय वर्षों में इस फर्म को 50 लाख रुपये से अधिक का भुगतान किया गया। बड़ा सवाल यह है कि जब फर्म जीएसटी से निरस्त हो चुकी थी तो फिर इसे काम किसने दिया और किसकी शह पर लगातार भुगतान भी होता रहा। नियम के मुताबिक जीएसटी के पंजीकरण के बिना किसी भी फर्म को मनरेगा से न तो काम दिया जा सकता है और न ही भुगतान।
सूत्र के मुताबिक ब्लाॅक के एक कर्मचारी की शह पर हुआ खेल
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, एमएस राजेश कुमार कांट्रेक्टर एंड सप्लायर की फर्म के प्रोपराइटर तो राजेश कुमार हैं, लेकिन इसमें पर्दे के पीछे ब्लाॅक में मनरेगा सेल में तैनात एक कर्मचारी साझेदार है। उक्त कर्मचारी ने ब्लाॅक में मनरेगा के जिम्मेदारों को उपहार व उपकार से उपकृत कर रखा है। इसी कर्मचारी की वजह से अफसरों ने भी भुगतान करते समय फर्म को लेकर कोई पड़ताल नहीं की और अब मामला तूल पकड़ रहा है।
वर्जन
बीडीओ मोहम्मदी अश्वनी सिंह ने बताया कि जीएसटी के लिए यहां कोई सूचना नहीं रहती है इसके लिए जीएसटी कार्यालय से पता चलेगा कि फर्म के द्वारा जीएसटी जमा की गई है या नहीं। जीएसटी के लिए सेल टैक्स विभाग अलग से बना हुआ है कौन सी फर्म जीएसटी जमा कर रही है या नहीं इसकी जानकारी ब्लॉक मे नहीं रहती है। अगर ऐसा कोई मामला है तो मेरे द्वारा भी नोटिस भेज कर कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल मामले से संबंधित पूर्ण जानकारी जांच के बाद ही बताई जा सकती हैं।