भास्कर ब्यूरो
फतेहपुर । दो अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर जिला न्यायाधीश रणंजय वर्मा ने न्यायालय परिसर में समस्त न्यायाधीशों के साथ वृक्षारोपण किया। इस दौरान उन्होंने गांधी वृक्ष लगाया। कहा कि इस वृक्ष की सेवा करना समस्त न्यायिक अधिकारियों का कर्तव्य है। जिसके बाद जिला बार एसोसिएशन सभागार में जिला न्यायाधीश रणंजय वर्मा व बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश वर्मा के नेतृत्व में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें वाद संवाद प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। अंत मे प्रतियोगिता में विजयी अधिवक्ताओ को जिला न्यायाधीश ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
बता दें कि महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर बार एसोसिएशन हाल में न्यायिक अधिकारियों एवं अधिवक्ताओं के बीच एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें दर्जनों अधिवक्ताओं ने गांधी जी के जीवन पर प्रकाश डाला व संवाद प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इसके बाद न्यायिक अधिकारियों ने भी महात्मा गांधी के आदर्शो को जीवन में आत्मसात करने के लिए सभी को प्रेरित किया।
इस मौके पर जिला न्यायाधीश रणंजय वर्मा ने कहा कि गांधी एक व्यक्ति नहीं एक विचार है जो अगर जीवन में उतर गया तो आप आदर्श के अंतिम पायदान पर स्थापित होंगे। उन्होंने कहा कि गांधी बनने के लिए जीवन में त्याग और समर्पण करना पड़ता है। उन्होंने कविता के माध्यम से कहा कि हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से गंगा निकलनी चाहिए। हंगामा हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है की तस्वीर बदलनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि गांधी जी के दो अस्त्र थे सत्य और अहिंसा, और इन्ही के बल पर उन्होंने अंग्रेजो को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश वर्मा ने महात्मा गांधी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महात्मा गांधी का जीवन एक संत की तरह था। एक साधारण सी धोती व कुर्ता पहनने वाले ब्यक्ति के पीछे लाखों की भीड़ थी। हमे भी समाज के अंतिम पायदान में खड़े ब्यक्ति की मदद के लिए व कुरीतियों को दूर करने के लिए आगे आना होगा। पर्यावरण को बचाने के लिए मुहिम चलानी होगी तभी गांधी जयंती मनाने का मकसद सार्थक होगा। इस दौरान सभी न्यायाधीशों व अधिवक्ताओ ने अपने अपने विचार रखे।