कानपुर | बच्चों के कोमल मन को समझाने को उनके लिए एक अनुकूल माहौल बनाने की विशेष जरूरत है। फिर कुछ उन्हें समझाने या उनसे कुछ पूछने की बात हो या फिर किसी गलत लत या आदत को बदलने के लिये पहल हो। बच्चों से जुड़े इस पहलू पर पुलिस आयुक्त डॉ. आर. के. स्वर्णकार ने जोर देते हुए कहा कि जनपद के समस्त थानों में बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को बच्चों के प्रकरणों को हैंडल करने के लिए विशेष बाल मैत्री कक्ष बनाने की आवश्यकता है।
सोमवार को वह मर्चेंट चैंबर हाल में आयोजित बाल कल्याण समिति की बैठक को संबोधित करते हुए पुलिस आयुक्त ने निर्देश देते हुए कहा कि थानों में नामित बाल कल्याण अधिकारी, किशोर न्याय बोर्ड, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बाल कल्याण समिति, जिला प्रोबेशन अधिकारी तथा अन्य आवश्यक नंबरों को दीवार पर प्रदर्शित किया जाय।
कार्यशाला के दौरान यूनिसेफ के तकनीकी सलाहकार राजेश कुमार सैनी, सामाजिक कार्यकर्ता (एस०जे०पी०यू० ) गिरीश अवस्थी, बाल कल्याण समिति से निर्मल कुमार पांडेय एवं देवेंद्र प्रताप सिंह तथा जिला प्रोबेशन अधिकारी जयदीप सिंह द्वारा किशोर न्याय (बालको की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 तथा पॉक्सो अधिनियम- 2012 पर तकनीकी सत्र लिया। पुलिस उपायुक्त अपराध ने कहा किशोर न्याय अधिनियम की धारा 77 (बालक को मादक पदार्थ या स्वापक औषधि या मनः प्रभावी पदार्थ देने के लिए दंड) से संबंधित है के अंतर्गत प्रभावी कार्यवाही करने हेतु समस्त थानों के बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया गया।
पुलिस आयुक्त के निर्देशन एवं पुलिस उपायुक्त (अपराध) के पर्यवेक्षण में विशेष किशोर पुलिस इकाई एवं थाना मानव तस्करी रोधी इकाई की समीक्षा / समन्वय में आयोजित इस बैठक में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष एवं सदस्य, जिला प्रोबेशन अधिकारी, अपर श्रमायुक्त प्रभारी, वन स्टॉप सेंटर, प्रभारी क्राइम ब्रांच तथा समस्त थानों से नामित बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों (सीडब्ल्यू पीओ ) ने प्रतिभाग किया।