सीतापुर। सकरन विकास खंड की ग्राम पंचायत क्योटाना के ग्रामीणों ने खेतों में नुकसान पहुंचा रहे 55 गौवंश जिनमें अधिकांश गाय और बछड़े थे। पकड़कर गांव के सरकारी स्कूल में बंद कर दिया था और ब्लॉक के अधिकारियों पर इन्हें किसी गौशाला में भेजने का दबाव बनाया। ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए पंचायत सचिव राजेश कुमार और पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ राजेश प्रसाद ने स्कूल में बंद किये गए गोवंशों को ट्रैक्टर ट्राली से क्योटाना गांव से करीब 20 किलोमीटर दूर सरैंया कला गाँव में नवनिर्मित गौशाला में पहुंचाने के लिए कहा गया। जब ग्रामीण इन गोवंशों को ट्रैक्टर ट्राली में भरकर रात में इन्हें लेकर सरैंयाकला पहुंचे तो यहां ग्रामीणों ने अन्य गांव के गौवंश गौशाला में लाने की जानकारी पाकर ग्राम प्रधान सहित विरोध में उतर आए।
क्योटाना से ले जाए गए थे 55 गोवंश सरैंयाकला गौशाला में
उन्होंने पशुओं को गौशाला में रखने से मना करते हुए वापस लौटा दिया। सरैंया कला के ग्रामीणों का कहना था कि उनके यहां पहले से ही बड़ी संख्या में बेसहारा गोवंश है। जिनके चारा पानी की व्यवस्था ही बड़ी मुश्किल से हो पा रही है। ऐसे में 20 किलोमीटर दूर क्योटाना गाँव से उनके यहां गौवंश क्यों लाए जा रहे हैं। क्योटाना गाँव में ही सरकारी जमीन पर गौशाला बनवाकर वहाँ के बेसहारा पशुओं को आश्रय क्यों नहीं दिया जा रहा है। क्योटाना के ग्रामीणों ने पशुओं को लाकर फिर से सरकारी स्कूल में बंद कर दिया।
सूचना पाकर मौके पर पहुंचे पशु चिकित्साधिकारी डॉ राजेश प्रसाद, नायब तहसीलदार अशोक कुमार यादव, लेखपाल सत्येंद्र वर्मा ने पुलिस बल के सहयोग से स्कूल में बंद सभी गोवंशों को सकरन क्षेत्र की बगहाढाक, किरतापुर और देवतापुर गौशाला में भेजवाया। वहीं इन गौशालाओं में भी पशुओं की संख्या क्षमता से अधिक होने के कारण आए दिन भुखमरी से पशुओं के मरने की जानकारी सामने आती रहती है।