बरेली : पूर्व सांसद वीरपाल ने लिखी डॉ. तोमर को चुनाव लड़ाने की पटकथा

बरेली। पहले कायस्थ बिरादरी के संजीव सक्सेना को महापौर का प्रत्याशी घोषित करना। फिर उनको सिंबल दिया जाना। उसके बाद नाटकिय डंग से डॉक्टर आईएस तोमर का अचानक निर्दलीय नामांकन दाखिल करना। उसके बाद संजीव सक्सेना का नामांकन वापस होना। यह सब पहले से तय स्क्रिप्ट थी। इस पूरी कहानी को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया पूर्व सांसद और सपा के राष्ट्रीय सचिव वीरपाल सिंह यादव ने। पूर्व सांसद के इस धोबीपाट दांव से न केवल समाजवादी पार्टी बल्कि भाजपा भी चारों खाने चित हो गई। किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि समाजवादी पार्टी अपने प्रत्याशी का नामांकन वापस कराकर डॉ. तोमर को निर्दलीय समर्थन दे देगी। सपा के इस दांव से भाजपा को महापौर के चुनाव में तगड़ी चुनौती मिलने के आसार बन गए हैं।

दिग्गज सपा नेता के धोबीपाट दांव से भाजपा चारों खाने चित्त

जब सपा ने कायस्थ बिरादरी के संजीव सक्सेना को महापौर का प्रत्याशी बनाया था। तब यह उम्मीद की गई कि शहर में कायस्थ मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। संजीव भाजपा को तगड़ी चुनौती देंगे। मगर, 12 दिन बाद भी वह चुनाव को उठा नहीं पाए। सपाई भी उनकी निष्क्रियता देखकर परेशान हो गए। राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का बाजार गरम हो गया। राजनीतिक पंडित तो यहां तक कहने लगे कि सपा ने भाजपा को लगता है कि बरेली में वॉकओवर दे दिया है। मगर, उसी वक्त सपा का एक गुट लखनऊ जाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिला। उनको बरेली की पूरी राजनीति से अवगत कराया। हाईकमान ने राष्ट्रीय सचिव से जब पूरी जानकारी हासिल की तो बात सही निकली। तमाम सपाइयों का तो यह कहना था कि कायस्थ बिरादरी मूल रूप से भाजपा का वोटर है। संजीव सक्सेना अपनी बिरादरी पर ही मेहनत नहीं कर पा रहे हैं तो वह भाजपा जैसी पार्टी के सामने चुनाव में क्या चुनौती पेश करेंगे।

टिकट दिलाने से लेकर नामांकन वापस कराने तक पहले से तय थी योजना

तब सपा के राष्ट्रीय सचिव वीरपाल सिंह यादव ने हाईकमान को यह बताया कि पूर्व महापौर डॉ. आईएस तोमर ही भाजपा को तगड़ी चुनौती दे सकते हैं। उसके बाद संजीव सक्सेना को नामांकन वापसी के लिए मनाना आसान काम नहीं था। वह नाम वापसी के लिए मान ही नहीं रहे थे। तमाम सपा नेता उनकी फोन पर कभी लखनऊ से बात कराते तो कभी किसी अन्य से। मगर, वह नाम वापसी के लिए तैयार नहीं थे।

तब भी यह मसला पूर्व सांसद वीरपाल सिंह यादव ने ही हल किया। उन्होंने दिल्ली और लखनऊ के आलावा फिरोजाबाद से संजीव सक्सेना पर ऐसा दबाव बनाया कि वह एक झटके में अपना नाम वापस लेने पर सहमत हो गए। उसके बाद की कहानी सबके सामने है। समाजवादी पार्टी का यह दांव देखकर भाजपाई भी आश्चर्यचकित हैं। बहरहाल, चुनाव परिणाम चाहे जो हो, लेकिन सपा की इस चुनावी रणनीति से भाजपा को आने वाले दिनों में तगड़ी चुनौती मिलने वाली है।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

संगीता बिजलानी की बर्थडे पार्टी में पहुंचे अर्जुन बिजली 3 घंटे ही आ रही… मंत्री बोले- बोलो जय सिया राम बद्रीनाथ मंदिर गेट पर फोटो को लेकर श्रद्धालुओं में भिड़ंत जो लोकसभा जीतता है विधानसभी जीतता है संसद का मानसून सत्र 21 जुलाईव से होगा शुरु