दैनिक भास्कर न्यूज
बांदा। प्रदेश की योगी सरकार भले ही अन्ना मवेशियों को संरक्षित करने और किसानों को अन्ना प्रथा से निजात दिलाने के तमाम दावे कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत सरकारी दावों से ठीक उलट ही हैं। खेतों से लेकर सड़कों तक अन्ना मवेशियों की धमाचौकड़ी और उनके परेशान किसानों व वाहन चालकों की समस्या जगह जगह देखने को मिल जाती है। हालांकि सरकारी तंत्र ने गांव-गांव स्थाई-अस्थाई गौशाला स्थापित करके गाैवंश को संरक्षित करने का प्रयास किया है, लेकिन गौशालाएं भी सरकारी तंत्र के भ्रष्टाचार का शिकार होकर दम तोड़ रही हैं और वहीं गौवंश दर-दर भटक कर अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है। कहीं गौवंश बीमारी और भूख से दम तोड़ रहा है, तो कहीं गौशालाओं में अव्यवस्था के चलते जानवरों की हालत खराब है।
किसानों ने डीएम से लगाई गुहार, अन्ना मवेशियों से दिलाई जाए निजात
ऐसा ही एक मामला पैलानी तहसील के अलोना गांव का सामने आया है, जहां ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन करके जल सत्याग्रह आंदोलन करने का अल्टीमेटम दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में करीब दो हजार हेक्टेयर से अधिक खेती योग्य जमीन है, लेकिन अन्ना मवेशियों के दंश के चलते करीब एक दशक से आधी भूमि परती पड़ी है, जबकि जिस खेत में फसल बोई गई है, वह भी 60 फीसदी तक अन्ना मवेशियों से बर्बाद कर दिया है। ऐसे में किसान की मेहनत पर पानी फिर जाता है और किसान बर्बादी की कगार पर पहुंचता जा रहा है। कई बार शासन प्रशासन से गुहार लगाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। ग्रामीणों का कहना है कि गांव के कई लोग अन्ना मवेशियों के हमले से घायल भी हो चुके हैं।
पैलानी तहसील के अलोना के ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट में किया धरना प्रदर्शन
किसानों ने अन्ना प्रथा से निजात दिलाने के लिए शासन या एनजीओ से संचालित स्थाई गौशला स्थापित कराने और जंगली गौवंशों को पकड़ कर गौशाला में संरक्षित कराने की मांग बुलंद की है। कहा है कि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो गांव के किसान गांव के बस स्टैंड में आगामी 17 मार्च से कृषि कार्याें का बहिष्कार करते हुए तीन दिवसीय भूख हड़ताल करने को विवश होंगे।
इसके बाद भी कार्रवाई न होने पर किसान केन नदी में जल सत्याग्रह और जल समाधि लेने का काम करेंगे। इस मौके पर अंकुर सोनी, कमला सिंह गौर, पुष्पेंद्र सिंह, योगेंद्र कुमार, क्षेत्र पंचायत सदस्य अनिरुद्ध गुप्ता, अर्जुन सिंह, भरत सिंह, मुलायम सिंह, श्यामू पाल, रामबाबू पाल, चंद्रशेखर यादव, राहुल सिंह, विकास सिंह, रामसिया समेत करीब आधा सैकड़ा किसान शामिल रहे।