अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा बांदा के संग हमीरपुर मार्ग, आये दिन होते रहते हादसे

दैनिक भास्कर न्यूज

बांदा। सूबे की सरकार भले ही सड़कों को गड्‌ढ़ा मुक्त करने का दम भर रही हैए लेकिन जमीनी हकीकत सरकारी दावों और आंकड़ों को मुंह चिढ़ा रही है। जिले की प्रमुख सड़क बांदा.चिल्ला.कानपुर मार्ग से लेकर हमीरपुर की दूरी को कम करने वाली महत्वपूर्ण सड़क गोयरामुगली.कपसा.हमीरपुर की दुर्दशा देखते ही बनती है। यह दोनों सड़कें आवाजाही के लिए महत्वपूर्ण तो हैं हीए बल्कि जिले के लोगों के लिए व्यापारिक यात्राओं के लिए भी बेहद खास हैं।

कारण कि कानपुर और हमीरपुर के लिए जाने वाले सभी वैकल्पिक मार्गाें में यह सबसे कम दूरी वाली सड़कें हैं। गोयरामुगली.कपसा मार्ग को दुरुस्त कराने को लेकर कई बार उच्चस्तरीय पत्राचार किया गयाए लेकिन मंत्रियों से लेकर आला अफसरों तक के पत्राचार शायद शासनस्तर पर रद्दी की टोकरी मंे डाल दिए गए हैं और दोनों जनपदों के लोगों को उनके हाल पर ही छोड़ दिया गया है।

मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर स्थित नवीन मंडी समिति के पास से गोयरा.कपसा होते हुए पड़ोसी जिले हमीरपुर के लिए रोड़ जाती हैए जिस पर दोनों जिलों के छोटे.बड़े वाहनों की आवाजाही होती है। यह सड़क करीब पांच साल पहले ही प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बनाई गई थीए लेकिन बनने के तुरंत बाद ही सड़क की गिट्टियां उखड़ने लगीं और देखते ही देखते सड़क गड्ढ़ाें में तब्दील हो गई। अब आलम यह है कि बांदा जनपद की सीमा में पड़ने वाली गोयरा तिराहे से मरौली मोड़ तक करीब 14 किमी दूरी पर सड़क का नामोनिशान तक मिट गया है। सड़क की जगह बड़े.बड़े तालाबनुमा गड्‌ढ़ों ने ली है और राहगीर गड्‌ढों की चपेट में आकर दुर्घटनाओं का शिकार होकर अस्पताल की शरण लेने को विवश हैं।

इस सड़क के निर्माण को लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के खंड सह कार्यवाह लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने मुद्दा उठाया और शासनस्तर पर जमकर पत्राचार भी किया। उन्होंने कहा है कि गोयरा मुगलीए अछरौड़ए मरौली समेत हमीरपुर और बांदा जिले के दर्जनों गांवों के आवागमन के लिए यह महत्वपूर्ण रास्ता है। लेकिन अफसरों और मंत्रियों ने पत्राचार के जवाब में कागजी कार्रवाई करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली और नतीजा सिफर ही रहा। संघ के खंड सह कार्यवाह त्रिपाठी के पत्राचार के जवाब में जहां प्रभारी मंत्री और एमएसएमई मंत्री राकेश सचान से लेकर जलशक्ति राज्य मंत्री रामकेश निषाद तक ने लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद को पत्राचार किया।

वहीं तत्कालीन जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने भी जिले के उद्यमियों की विशेष मांग पर प्रमुख सचिव पीडब्लूडी को पत्र लिखकर यहां के लोगों की समस्या से रूबरू कराया। लेकिन पत्राचार का कोई सार्थक परिणाम अभी तक नहीं निकल सका और लोग धूल.मिट्‌टी से भरी गड्‌ढायुक्त सड़क पर आवाजाही करने को विवश हैं। उधर इस सड़क के ध्वस्त होने की बात स्वीकार करते हुए सहायक अभियंता पीडब्लूडी शासन स्तर से स्वीकृति मिलने के बाद जल्द ही सड़क बनवाने का भरोसा दिला रहे हैंए उनका भरोसा आम लोगों के लिए कितना भरोसेमंद साबित होता हैए यह भविष्य ही तय करेगा।

बालू खनन की भेंट चढ़ गया सड़क मार्ग

बांदा.कपसा मार्ग के बहुत जल्द ध्वस्त होने में बालू खनन भी एक बड़ा कारण बताया है। इस मार्ग पर अछरौंड़ और मरौली में केन नदी पर स्वीकृत बालू खदानों का पूरा परिवहन धमाचौकड़ी भरता रहा है और आगे भी भरेगा। अछरौंड में दो और मरौली में चार खदानों के पट्‌टे शासन स्तर से स्वीकृत थे। ग्रामीणों की मानें तो ओवरलोड बालू भरे ट्रकों की धमाचौकड़ी के चलते ही यह सड़क इतनी जल्दी ध्वस्त हो गई।

बालू कारोबारी तो खदानों से लाखों रुपए की मलाई खाकर मजे कर रहे हैंए लेकिन उनके मजे की सजा अब ग्रामीणों को भुगतनी पड़ रही है। आरएसएस के खंड सह कार्यवाह लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी बताते हैं कि इस सड़क का निर्माण खनिज न्यास के लिए निकलने वाली धनराशि से होना चाहिएए लेकिन खनिज न्यास की धनराशि का इधर.उधर दुरुपयोग करके जिला प्रशासन लोगों को बदहाली में छोड़ देता है।

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