सर सैय्यद अहमद की याद में शानदार मुशायरे का आयोजन

भास्कर समाचार सेवा
बुगरासी। कस्बे में महान शिक्षाविद सर सैय्यद अहमद खान की याद में शानदार मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसमें क्षेत्र के अलावा दूर दराज़ से आये शायरों ने समाज, सियासत और शिक्षा पर अपना कलाम पेश करके खूब वाहवाही लूटी।
नगर स्थित एक मैरिज हॉल में मुस्लिम यूथ एन्ड स्टूडेंट्स फेडरेशन के बैनर तले आयोजित मुशायरे का आगाज़ प्रख्यात हकीम सुलेमान खां तूर ने शमा रोशन करके किया। नात-ए-पाक से शुरू हुए मुशायरे में करीब दो दर्जन शायरों ने अपने कलाम पढ़े। रामपुर के आज़र नोअमानी ने पढ़ा “अब कोई ग़म न किसी रंज को गरदानते हैं, ज़िन्दगी हम तेरी हर चाल को पहचानते हैं।” सर सैयद को याद करके हकीम सुलेमान खां ने कुछ इस तरह श्रद्धांजलि दी, “शैख़ लाखों हुए लाखों हुए ज़ाहिद पैदा, मुद्दतों बाद हुआ मर्द ए मुजाहिद पैदा।” खुशबू रामपुरी ने कहा कि “चंद गुड़िया थीं वो मिट्टी के खिलौने और हम, छोटे बच्चों को कोई काम कहाँ था पहले।” शुऐब अंजुम ने कुछ यूं अपने ख्याल का इज़हार किया कि “कैसे रखूं बेवफा तुझको नज़र के सामने, काश तेरा घर भी होता मेरे घर के सामने।” यूसुफ मेरठी ने अपनी देशभक्ति कुछ ऐसे बयां की- “याद तो होगा के हम ही हैं ऐ खाक ए वतन, अपने खूँ से तुझे गुलज़ार बनाने वाले।” डॉक्टर आज़म बराक ने कहा “निगाह रखता है यूं भी वो अपने दुश्मन पर, के दोस्तों से सदा होशियार रहता है।” इनके अलावा फ़राज़ मुरादाबादी, निसार अहमद अहकर, हकीम शौकत अली, सलीम अख्तर, अज़हर बुगरास्वी, मासूम रज़ा आदि ने भी अपने कलाम पढ़े। फेडरेशन के अध्यक्ष अब्दुल वाहिद ने सभी का आभार व्यक्त किया। असग़र सैफ़ी, रिफाकत अली, इमामुद्दीन मलिक, राशिद खां, फौजान सैफ़ी, आबिद चौधरी, आसिफ क़ुरैशी आदि मौजूद रहे।

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