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बांदा। शहर के निजी नर्सिंग होम अहाना अस्पताल में इलाज के दौरान गर्भवती महिला की हालत बिगड़ने से गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई। इलाज के नाम पर पांच दिनों में गर्भवती के तीमारदारों से अस्पताल प्रशासन ने 1.10 लाख रुपये वसूल डाले। गर्भस्थ शिशु की मौत पर भड़के परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। स्वास्थ्य कर्मियों और परिजनों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। महिला के परिवार वालों ने डाक्टर और अस्पताल संचालक पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। स्वजनों ने डीएम से पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराते हुए दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
तीमारदारों से 1.10 लाख रुपये वसूलने का आरोप
शहर कोतवाली क्षेत्र के कटरा निवासी अवधेश कुमार ने पांच दिनों पहले अपनी गर्भवती पत्नी को लोहिया पुल के नजदीक स्थित निजी नर्सिंग होम अहाना अस्पताल में भर्ती कराया। जांच के दौरान महिला टाइफाइड ग्रस्त मिली। शुक्रवार को सुबह चिकित्सक ने गर्भवती को खून की कमी बताते हुए तीन यूनिट रक्त चढ़ाने के नाम पर तीमारदारों से 16000 रुपए जमा कराए। दोपहर बाद अस्पताल संचालकों ने तीमारदारों को गर्भस्थ शिशु के मरने की जानकारी देते हुए गर्भवती की हालत गंभीर बताकर दूसरे अस्पताल ले जाने को कहा।
शहर के अहाना अस्पताल का मामला
शिशु की मौत पर भड़के परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। नर्सिंग होम कर्मियों और तीमारदारों के बीच तीखी झड़प हुई। महिला के परिजनों का कहना है कि वह टाइफाइड का इलाज कराने आहना अस्पताल आए थे। इलाज के नाम पर अभी तक 1.10 लाख रुपए लिए जा चुके हैं। आरोप लगाया कि चिकित्सक और अस्पताल संचालक की लापरवाही से गर्भस्थ शिशु की मौत हुई है।
परिजनों ने घटना की जानकारी नजदीक पुलिस चौकी को दी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। परिजनों ने डीएम से पूरे प्रकरण की जांच कराते हुए दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। उधर, अहाना अस्पताल डायरेक्टर संजय सिंह का कहना है कि पांच दिनों पहले गर्भवती के परिजन अस्पताल लेकर आए थे। प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सक ने महिला को मेडिकल कालेज या कानपुर ले जाने की सलाह दी थी। महिला के परिजनों ने आर्थिक रूप से कमजोर होने पर भर्ती करने का अनुरोध किया था। बताया कि खून की कमी के चलते शिशु की मौत हुई है।