योगी ने उप्र में हुई घटनाओं को लेकर अपर मुख्य सचिव गृह को दिए सख्त कार्रवाई के निर्देश
सीएम ने किसी भी निर्दोष को नहीं छेड़ने और एक भी दोषी को नहीं छोड़ने के निर्देश दिए
मुख्यमंत्री ने मामले में रविवार शाम तक की गई कार्रवाई की समीक्षा की
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों राज्य के कुछ जिलों में हुई घटनाओं को लेकर अपर मुख्य सचिव गृह को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि प्रदेश की शांति व्यवस्था से खिलवाड़ करने की छूट किसी को नहीं दी जाएगी। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाएं, जो मिसाल बने, ताकि भविष्य में कोई भी कानून हाथ में लेने का गुनाह न करे। उन्होंने किसी भी निर्दोष को नहीं छेड़ने और एक भी दोषी को नहीं छोड़ने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री योगी ने रविवार को सरकारी आवास पर गृह विभाग की समीक्षा बैठक की। इसमें उन्होंने हाल ही में हुई घटनाओं को लेकर पुलिस की ओर से अब तक की गई कार्रवाई की समीक्षा भी की। सीएम योगी ने अपर मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि मामले में एक-एक व्यक्ति की सीसीटीवी और अन्य वीडियो के माध्यम से पहचान कर कार्रवाई करें। उन्होंने धर्म गुरुओं, सिविल सोसाइटी, शांति समिति से निरंतर संवाद रखने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने मुख्य आरोपितों और साजिशकर्ताओं के आय के श्रोतों की पड़ताल करने, क्षति की वसूली सम्बंधित आरोपितों से ही करने और आरोपितों के खिलाफ एनएसए या गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
प्रयागराज हिंसा के मुख्य आरोपित के घर गरजा बुलडोजर
प्रयागराज हिंसा के मुख्य आरोपित जावेद के घर आज बुलडोजर गरजा। शाम तक प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने आरोपित के मकान को पूरी तरह से नेस्तानाबूद कर दिया। जावेद ने प्राधिकरण से आवास का मानचित्र स्वीकृत नहीं कराया था। इससे पूर्व प्राधिकरण ने कई बार उसे नोटिस जारी किया था, लेकिन वह प्राधिकरण में पेश नहीं हुआ था। आरोपित को मकान खाली करने और ध्वस्तीकरण के लिए रविवार को भी नोटिस जारी किया गया था।
अब तक तीन सौ से अधिक लोग गिरफ्तार
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता के अनुसार मामले में प्रदेश भर से अब तक तीन सौ से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसमें फिरोजाबाद में 15, अंबेडकरनगर में 34, मुरादाबाद में 35, सहारनपुर 71, प्रयागराज में 92, हाथरस में 51, अलीगढ़ में छह और जालौन में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
इन नियमों के तहत चल रहे बुलडोजर
● यूपी गैंगेस्टर एक्ट की धारा-14ए के तहत अवैध रूप से कमाई गई संपत्ति का ध्वस्तीकरण या जब्तीकरण किया जा सकता है।
● उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम 1973 के प्रावधानों के अनुसार एक्ट की धारा-27 के तहत भवन गिराने का आदेश देने संबंधी नियमों का उल्लेख है। जहां कोई विकास, महायोजना या आंचलिक विकास योजना के उल्लंघन में या एक्ट की धारा-14 में निर्दिष्ट अनुमति, अनुमोदन या स्वीकृति के बिना किया गया है, उसे प्राधिकरण द्वारा भवन स्वामी को नोटिस देकर हटाने या ध्वस्तीकरण का आदेश दिया जाता है। तय समय सीमा में भवन स्वामी द्वारा आदेश का अनुपालन न करने पर प्राधिकरण की ओर से निर्माण को हटाया जाता है। ऐसी स्थिति में हटाने का खर्च (जितना प्राधिकरण द्वारा प्रमाणित किया जाए) भूस्वामी से भू-राजस्व के रूप में वसूल होगा और ऐसी वसूली के लिए सिविल न्यायालय में कोई वाद दाखिल नहीं होगा।
● सार्वजनिक संपत्ति पर अवैध कब्जा करने वालों पर कार्रवाई के लिए उत्तर प्रदेश लोक परिसर (अनधिकृत कब्जा से बेदखली) अधिनियम 1973 में प्रावधान है। अधिनियम की धारा-04 (1) के अनुसार यदि निर्धारित प्राधिकारी या तो स्वयं के प्रस्ताव पर या राज्य सरकार या कारपोरेट प्राधिकरण की ओर से प्राप्त आवेदन या रिपोर्ट पर यह राय रखता है कि कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक परिसर पर अनाधिकृत कब्जा कर रहा है और उन्हें बेदखल कर दिया जाना चाहिए, तो प्राधिकारी लिखित रूप में एक नोटिस जारी करेगा। यदि कोई व्यक्ति सेक्शन-5 की उप-धारा (1) के तहत बेदखली के आदेश का पालन करने से इनकार करता है या उसका पालन करने में विफल रहता है, तो निर्धारित प्राधिकारी द्वारा उस व्यक्ति को सार्वजनिक परिसर से बेदखल कर उस पर कब्जा किया जा सकता है और इसके लिए आवश्यक बल का भी प्रयोग किया जा सकता है।
● ग्राम पंचायत की भूमि पर अतिक्रमण, अवैध कब्जे या दुरुपयोग रोकने के लिए राजस्व संहिता की धारा-67 में प्रावधान है।
● अधिनियम के तहत ग्राम पंचायत अथवा अन्य स्थानीय निकाय की भूमि पर अवैध कब्जा करने वालों की बेदखली और उनसे क्षति वसूली की कार्यवाही की जा सकती है।
● तहसीलदार और तहसीलदार (न्यायिक) को उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा-67 के तहत सहायक कलेक्टर के तौर पर काम करने के लिए अधिकृत किया गया है। (यह बदलाव 2020 में वर्तमान सरकार ने किया है)
● यदि अवैध कब्जा मिला व्यक्ति बेदखली के आदेश का पालन करने से इनकार करता है, तो प्राधिकारी द्वारा इस प्रयोजन के लिए आवश्यक बल का भी प्रयोग किया जा सकता है।