जीबीसी-03 में इन क्षेत्रों में निवेश के कई प्रस्ताव
कोरोना काल में गिरावट के बाद संभावनाएं बढ़ीं
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कोविड महामारी से उबरने के बाद आर्थिक विकास में आई तेजी से उन क्षेत्रों में भी प्रगति देखी जा रही है जिनमें मंदी के संकेत दूरगामी समझे जा रहे थे। इन क्षेत्रों में सबसे ऊपर रियल एस्टेट अथवा आवासीय एवं कमर्शियल प्रॉपर्टी का क्षेत्र शामिल था। इस क्षेत्र में न केवल मांग में भारी कमी आई थी, बल्कि वर्तमान में चल रहे और आगे प्रस्तावित प्रोजेक्ट का भविष्य भी संशय में आ गया था।
हाल में लखनऊ में सम्पन्न हुई तीसरी ग्राउन्ड ब्रेकिंग सेरमोनी (जीबीसी-3) में आए प्रस्तावों में शामिल इस क्षेत्र के 19 प्रस्तावों से यह संकेत मिलता है कि आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र में विकास और प्रगति के आसार बढ़े हैं। प्रस्तावों पर क्षेत्र-वार नजर डालने से स्पष्ट है कि 4,344 करोड़ रुपये के यह 19 प्रस्ताव प्रदेश के अलग-अलग जिलों में आ रहे हैं। इनमें वेयरहाउस एवं लॉजिस्टिक्स, आईटी, डाटा पार्क और डाटा सेंटर, बिजली घर, होटल एवं अस्पताल आदि उद्योगों से संबंधित निर्माण कार्य शामिल नहीं हैं।
लखनऊ में हुई जीबीसी-3 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में 1406 प्रस्तावों की शुरुआत हुई थी। इसमें कुल निवेश लगभग 80 हजार करोड़ रुपये का है। इस आयोजन में देश-विदेश के प्रख्यात उद्योगपति शामिल थे, जैसे गौतम अडानी, कुमार मंगलम बिरला, निरंजन हीरानन्दानी, मैथ्यू आईरिस, विजय शेखर शर्मा और अन्य। लूलू ग्रुप इंटरनेशनल के चेयरमैन और अंतरराष्ट्रीय उद्योगपति एमए यूसुफ अली की उपस्थिति से यह स्पष्ट संकेत मिला कि देश-विदेश के उद्योगपतियों में उत्तर प्रदेश के प्रति विश्वास बढ़ा है।
इसके पीछे न केवल प्रधानमंत्री मोदी का उप्र के विकास के प्रति समर्पण और समर्थन है, बल्कि उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उद्योग एवं निवेश के प्रति हितैषी नीतियों, ईज़ ऑफ डूइंग बिजनस में लगतार सुधार, सुरक्षा के वातावरण का निर्माण और निवेश के प्रति सहज माहौल बनाया जाना शामिल है।
जीबीसी-3 में आवास व कमर्शियल प्रॉपर्टी के क्षेत्र में आए प्रस्तावों में रीटेल कॉम्प्लेक्स, आवासीय एवं ग्रुप हाउसिंग, सहकारी आवास समितियां एवं टाउनशिप का निर्माण प्रमुख है। यह उप्र सरकार की नीतियों का ही परिणाम है कि इस क्षेत्र का विश्वास निवेश के प्रति बढ़ा है। इसमें आई मंदी दूर होने की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं।
इस क्षेत्र के बड़े प्रस्तावों में वन-97 कम्यूनिकेशन्स (पेटीएम) का नोएडा में कमर्शियल स्पेस का निर्माण है। इसमें रिटेल के लिए भी स्थान है। 504 करोड़ के निवेश के इस प्रस्ताव से आठ हजार नौकरियां सृजित होने की उम्मीद है। यह जुलाई 2024 तक पूरा हो जाएगा।
अन्य प्रस्तावों में गोरखपुर में 250 करोड़ की लागत से ऐशप्रा लाइफस्पेसेस (पाम एम्पोरियो), जुलाई 2025 तक संभावित, 400 नौकरियां मिलेंगी। लखनऊ में 225 करोड़ की लागत से अमरावती रेज़िडन्सी प्राइवेट लिमिटेड का प्रोजेक्ट है। यह जनवरी 2022 से परिचालन में है और इसमे 300 नौकरियां दी जा चुकी हैं। लखनऊ में एएनएस डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के तीन प्रोजेक्ट 405 करोड़ का वेलेनसिया काउंटी है। इसके जनवरी 2025 तक पूर्ण होने की उम्मीद है। इसमें 800 नौकरियों का सृजन होगा। 400 करोड़ का बेलवेडएर सूटस, जनवरी 2025 तक पूरा होना संभावित है। इसमें 300 नौकरियों का सृजन होगा। 325 करोड़ का व्हिसपरिंग वुड्स, दिसम्बर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। इसमें 200 नौकरियां संभावित हैं।
लखनऊ में ही 250 करोड़ की लागत से बन रहा जीके ऑर्थोसिटी प्राइवेट लिमिटेड, जिसकी दिसम्बर 2023 तक पूरा होने की उम्मीद और 700 रोजगार संभावित हैं। लखनऊ में 200 करोड़ रुपये का पारडोस लखनऊ डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, जुलाई 2022 तक पूरा होने की संभावना है। इसमें 400 नौकरियां मिलेंगी।
बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड का प्रोजेक्ट जून 2022 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। इसमें 2100 रोजगार सृजित होंगे। गाज़ियाबाद में उप्पल चड्ढा हाई-टेक डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड का प्रोजेक्ट 350 करोड़ से बन रहा है। जो मार्च 2027 तक पूरा होने की संभावना है। इसमे 300 रोजगार सृजित होंगे।
इस क्षेत्र में अन्य प्रस्ताव हैं। आगरा में त्रिपुरारी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड ( 112 करोड़), गाज़ियाबाद में आदर्श नगर प्रगतिशील सहकारी आवास समिति लिमिटेड (180 करोड़), अग्रवाल असोसिएटेड प्रोमोटर्स लिमिटेड (125 करोड़), और सरना प्रोजेक्ट्स एलएलपी (30 करोड़), लखनऊ में एल्डिको हाउज़िंग एण्ड इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड (60 करोड़), एमजे लग्जरीज़ प्राइवेट लिमिटेड (100 करोड़) और शालीमार एजुकेशनल एण्ड चेरटबल ट्रस्ट (80 करोड़) के प्रस्ताव शामिल हैं।