दैनिक भास्कर न्यूज
बांदा। जनपद में अवसाद के बढ़ते मरीजों और आत्महत्याओं के मामलों में लगातार हो रही वृद्धि पर अध्ययन करते हुए शोधकर्ता ने बांदा जनपद में अवसाद एवं आत्महत्याएं एवं अध्ययन पुस्तक लिपिबद्ध की। पुस्तक का विमोचन गुरुवार को जनपद न्यायाधीश गजेंद्र कुमार ने मेंटल हेल्थ रिव्यू बोर्ड की बैठक में किया और शोधकर्ता की जमकर तारीफ की।
गुरुवार को जिला न्यायाधीश गजेंद्र कुमार की अध्यक्षता में आयोजित मेंटल हेल्थ रिव्यू बोर्ड की बैठक को संबोधित करते हुए अपर जिलाधिकारी उमाकांत त्रिपाठी ने बुंदेलखंड के लोगों को आलसी बताते हुए कहा कि अालस के चलते यहां का किसान निष्क्रिय रहता है और फसलों का सही उत्पादन भी नहीं ले पाता, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है और वह डिप्रेशन का शिकार होकर आत्महत्या जैसा घृणित कदम उठाने को मजबूर होता है। मेडिकल कालेज के मनोचिकित्सा विभागाध्यक्ष डा.शैलेंद्र मिश्रा ने यहां के लाेगों को अवसाद व आत्महत्याओं के प्रति जागरूक करने की जरूरत पर बल दिया।
कहा कि लोगों को समझाना होगा कि मानसिक रोग भी आम रोग की तरह ही है और इसका भी इलाज संभव है। मेडिकल कालेज के विभागाध्यक्ष मेडिसिन डा.शैलेंद्र यादव ने कहा कि कई बार मानसिक रोग दवाओं के कुप्रभावों से होते हैं। बोर्ड के सदस्य पूर्व काउंसलर डा.जर्नादन प्रसाद त्रिपाठी ने शोध पत्र प्रस्तुत किया। बताया कि उनके शोध पत्र की उपादेयता एवं विषय वस्तु बांदा जनपद पर ही केंद्रित है। जिससे डिप्रेशन का शिकार लोगों को सहायता मिल सके।
डा.त्रिपाठी के शोध पत्र बांदा जनपद में अवसाद (डिप्रेशन) एवं आत्महत्याएं एवं अध्ययन का विमोचन जनपद न्यायाधीश गजेंद्र कुमार समेत सभी उपस्थित अधिकारियों ने किया और उनके लेखन को सराहा। जिला जज ने मेंटल हेल्थ रिव्यू बोर्ड के सदस्यों के काम की जमकर सराहना की।