लखीमपुर खीरी : बाघ के हमले से एक और युवक की गई जान

तिकुनिया-खीरी : वन विभाग की लापरवाही से अब तक दर्जन भर से ज्यादा लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी है अगर वह विभाग बाघ को आदमखोर घोसित नहीं करता है तो आगे कितने लोगों को अपनी जान गवानी पड़ेगी जिससे इलाके में बाघ को लेकर भय का माहौल बना हुआ है।

बीते सोमवार को कमलेश पुत्र बांकेलाल निघासन कोतवाली क्षेत्र के पढुआ चौकी के मजरा शायपुर निवासी अपने दो साथियों के साथ साइकिल व बैलगाड़ी से तिकुनिया कोतवाली के मंझरा पूरब जंगल क्षेत्र से छप्पर झोपड़ी आदि बनाने के लिए फूस लेने के लिए गया था,शाम सात बजे दो लोग बैलगाड़ी पर फूस लेकर और कमलेश साइकिल से बैलगाड़ी के पीछे-पीछे अपने घर वापस जा रहा था मंझरा रेलवे स्टेशन के समीप बाघ ने कमलेश पर अचानक हमला कर दिया,बैलगाड़ी पर बैठे साथी कुछ समझ पाते तब तक बाघ ने अपने जबड़े से कमलेश की गर्दन काटकर मौत के घाट उतार दिया, शोर-शराबा सुनकर बाघ जंगल की तरफ भाग गया। साथी जब तक कमलेश के पास पहुंचे तब तक कमलेश की गर्दन कटने से मौके पर ही मौत हो चुकी थी। साथियों ने कमलेश के घर पर बाघ के हमले की सूचना दी। गांव में सूचना पहुंचने पर कमलेश के घर में कोहराम मच गया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक बाघ के हमले से लगभग 17 लोगों की मौत हो चुकी है। हाल ही में दो दिन पूर्व मंझरा क्षेत्र में ही खेत गए एक किसान महेश की बाघ के हमले से मौत हो गयी थी। यदि समय रहते वन विभाग ने सुरक्षा के इंतजाम किए होते तो शायद इन घटनाओं पर विराम लग सकता था। घटनाओं के बाद वनविभाग मुआवजा देकर इत्रश्री भले ही कर देता हो लेकिन अब तक सत्तरा लोगों के घर उजड़ चुके इसके पुख्ता इंतेजाम नही कर रहा और न ही बाघ को आदमखोर घोषित कर रहा है । जिससे इलाके के लोगों में आक्रोश फैला हुआ है।

सूचना पर पहुंची तिकुनिया कोतवाली पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला मुख्यालय भेज दिया।

क्षेत्रीय वनाधिकारी विमलेश कुमार ने बताया कि घटना के बारे उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है उच्चाधिकारियों के निर्देश का पालन किया जाएगा साथ कि ग्रामीणों को सतर्क रहने को कहा है।

वन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धाराओं के मुताबिक बाघ वन क्षेत्र की सीमा रेखा के बाहर ग्रामीण क्षेत्र में अगर पांच या उससे अधिक लोगों पर हमला कर मौत के घाट उतार देता है तो प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्य जीव से अनुमति लेकर उसे नरभक्षी करार देते हुए वन विभाग की जिम्मेदारी बनती है कि उसे ट्रेन्कुलाइज कर पकड़कर किसी चिड़ियाघर में वैज्ञानिक शोध हेतु भेज दिया जाय या मार दिया जाय।

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