“महफिल ए मूंगफली ” में कवियों ने बिखरे आस्था व अनुभूति के रंग
अतुल शर्मा

गाजियाबाद। अमर भारती साहित्य संस्कृति संस्थान के मिनी काव्य कुंभ ” महफिल ए मूंगफली” के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि श्रीबिलास सिंह ने इन पंक्तियों “कविता किसी सिजेरियन बच्चे के जन्म का चिकित्सीय अभिलेख नहीं, प्रसव की वेदना का इतिहास है कविता, सामाजिक जानवर के मनुष्य बनने का आख्यान नहीं, अनुभूतियों की यात्रा कथा पर, समय का हस्ताक्षर है” के जरिए कविता की नई जमीन की तलाश की। श्री सिंह ने अपनी कविताओं के माध्यम से विलोपित हो रही संवेदनशीलता, प्रदूषित हो रही संस्कृति और पर्यावरण पर जमकर प्रहार किया।

मकर सक्रांति के मौके पर सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में आयोजित काव्य कुंभ के अध्यक्ष सुप्रसिद्ध शायर रमेश प्रसून ने कहा कि अमर भारती संस्था के नियमित आयोजन से कविता निरंतर समृद्ध हो रही है। श्री प्रसून ने अपनी गजलों और शेरों पर जमकर वाहवाही बटोरी। उन्होंने फरमाया “गिरकर दर्पण टूट गया तो, टुकड़ों में देखा मेरे पास ही मेरे अपने कितने चेहरे हैं।” “ताज्जुब है किस तरह हिलता हुआ यह घर, सह गया इतने थपेड़े ढ़ह नहीं पाया।” ” धूल में तिनका मिला है बस इसी कारण, दूर तक वह संग हवा के बह नहीं पाया।

” कार्यक्रम की आयोजक व स्कूल की डायरेक्टर प्रिंसिपल डॉ. माला कपूर ने “फुर्सत” कविता के माध्यम से जीवन की आपाधापी के बीच संतुलन कायम रखने की चेष्टाओं का मार्मिक बखान किया। “महफिल ए मूंगफली” के तौर पर डॉ. कपूर ने फरमाया “ढोली का ढोल बजे, सरसों का साग बने, मक्के की रोटी पर, मक्खन की बात चली, गुड गुड महकती सी, तिल तिल सरकती सी, कविता की रेवड़ी ले रात चली बात चली, कविताएं भी पेश हुई गजलें भी फरमाएं, ठंडक में गरमाई, महफिल ए मूंगफली, महफिल ए मूंगफली।” रवि पाराशर ने अपने गीत “गीत को आवाज देने के लिए हम हमेशा मौन पर ठहरे रहे” से और वरिष्ठ शायर सुरेंद्र सिंघल ने अपनी पंक्तियों “नववर्ष के कैलेंडर टांगो जहां जहां भी, दीवार पर प्लास्टर उखड़ा दिखाई दे है” से श्रोताओं का.ध्यान खींचा।
ओमप्रकाश यती ने कहा “मानता हूं बड़ी काली बड़ी जिद्दी मगर, एक तिल्ली ही बहुत है तीरगी के सामने।” संस्था के अध्यक्ष गोविंद गुलशन ने कहा “किसी की याद में नमनाक हो गईं आंखें, चलो यह अच्छा हुआ पाक हो गई आंखें।” कार्यक्रम का संचालन कीर्ति रतन ने किया।
इस अवसर पर संतोष ओबरॉय, मासूम गाजियाबादी, रमा सिंह, डॉ. तारा गुप्ता, आलोक यात्री, डॉ. वीना मित्तल, तरुणा मिश्रा, अनुराग मिश्रा गैर, तूलिका सेठ, बी.एल. बत्रा, चारू देव, नित्यानंद तुषार, राहुल जैन, वी. के. शेखर, प्रवीण कुमार, जसवीर त्यागी, श्वेता त्यागी, संगीता गोयल, सुप्रिया सिंह, डॉ. मीनाक्षी कहकशां, मधुरिमा सिंह, सीमा सिंह, इंदु शर्मा, आदि ने भी काव्य पाठ किया। इस अवसर पर शिवराज सिंह, डॉ मंगला वैद, प्रवेश वैद, एम.के. सेठ, रेखा सेठ, एम.पी. सिंह, रेनू चोपड़ा, इंदू शेखावत, फरमान अली, अशोक कौशिक, सुशील शर्मा, टी.पी. चौबे व कुलदीप आदि सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।















