बबेरू के पड़री में ग्रामीणों व पुलिस के संघर्ष पर विधायक ने दिलाया न्याय का भरोसा
अधिवक्ता के परिजनों ने लगाया पुलिस पर बदले की भावना से कार्रवाई का आरोप
भास्कर न्यूज
बांदा। बबेरू थाने के पड़री गांव में शुक्रवार को अधिवक्ता के घर नोटिस देने गए पुलिस कर्मियों के साथ हुए संघर्ष के बाद जहां पुलिस ने आरोपी परिवार के आठ लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, वहीं अब इस मामले पर सियासत भी शुरू हो गई है। सत्ताधारी दल के नेता जहां पुलिस की कार्रवाई को सही ठहरा रहे हैं, वहीं विपक्षी पुलिस पर बर्बरता का आरोप लगाकर पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने और उनकी लड़ाई लड़ने की हुंकार भर रहे हैं। उधर अधिवक्ता और उसके परिजनों ने पुलिस पर ग्राम प्रधान से मिलीभगत करके बदले की भावना से बर्बरता करने का अरोप लगाया है और पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए तहरीर दी है।
पुलिस और अधिवक्ता के परिजनों के साथ हुआ संघर्ष अब तूल पकड़ने लगा है, मामले में अधिवक्ता संघ के साथ ही अब सपा विधायक विशंभर सिंह यादव ने भी मोर्चा संभाल लिया है। सोमवार को सपा विधायक यादव ने मौके पर पहुंचकर परिजनों व ग्रामीणों से मुलाकात की और घटना की वस्तुस्थिति की जानकारी ली। गांव के लोगों और परिजनों ने बताया कि सादी वर्दी में पहुंचे पुलिसकर्मियों ने नोटिस तामील करने की बात कहते हुए परिजनों से अभद्रता की और गाली गलौज करने लगे। जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच विवाद हो गया और नौबत मारपीट तक पहुंच गई। हालांकि अधिवक्ता का आरोप है कि बाद में पुलिस चौकी और थाने से पहुंचे पुलिस बल ने महिलाओं और बच्चों के साथ ही अन्य लोगों को जमकर पीटा। महिला-पुरुषों को घसीट कर थाने ले गए और वहां भी उनके साथ पिटाई की और बदले की भावना से कार्रवाई की। उधर अधिवक्ता का आरोप है कि उसे भी शहर स्थित उसके घर से पकड़ा गया और कोतवाली में ले जाकर पीटा गया। मामले में जब पुलिस आरोपी महिलाओं व पुरुषों को अदालत में पेश करने पहुंची थी तब भी आपसी संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो गई थी और अधिवक्ता के पक्ष में जिला अधिवक्ता संघ ने भी मोर्चा संभाल लिया था।
अधिवक्ता संघ की मांग पर अदालत ने डाक्टरों की टीम से आरोपियों का मेडिकल कराने का आदेश दिया था, जिसमें आरोपियों के शरीर पर गंभीर चोटों के निशान बताए गए हैं। उधर पीड़ित अधिवक्ता केशव प्रसाद यादव ने भी पुलिस कर्मियों के खिलाफ तहरीर देकर मुकदमा दर्ज करने की मांग की है, लेकिन पुलिस के अधिकारी मामले की जांच की बात कह कर टरकाने का प्रयास कर रहे हैं। सोमवार को सपा से बबेरू विधायक विशंभर सिंह यादव ने गांव में पहुंचकर मामले की जानकारी की और पीड़ित अधिवक्ता के परिजनो को न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया। विधायक ने सरकार को घेरते हुए कहा कि योगी की पुलिस बेलगाम हो गई है और कानून व्यवस्था की स्थिति चरमरा गई है। कहा है कि आरोपी बनाए गए अधिवक्ता के परिवार को न्याय दिलाने के लिए समाजवादी पार्टी आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार है।
वर्दी को लेकर परेशान रहे आला अधिकारी
पुलिस व अधिवक्ता के परिजनों के साथ हुई मारपीट के मामले में जहां सपा आर-पार की लड़ाई लड़ने का दम भर रही है, वहीं पुलिस के आला अधिकारी अभी तक सिपाहियों के वर्दी में होने या न होने के ही फेर में ही फंसे हुए हैं। आला अधिकारी दो दिन से मीडिया कार्यालयों में फोन करके सिपाहियों के वर्दी में पहुंचने पर चर्चा करते रहे। जबकि अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष बृजमोहन सिंह गौर और पीड़ित अधिवक्ता ने पुलिस को दी तहरीर में सिपाहियों के सादी वर्दी में पहुंचने की बात कही है। अभी तक पुलिस वर्दी और सादी ड्रेस के फेर से बाहर नहीं निकल पा रही है। उधर, अधिवक्ता संघ अध्यक्ष और अधिवक्ता की तहरीर के आधार पर जब मीडिया में सादी वर्दी में सिपाहियों के पहुंचने की बात प्रकाशित हुई तो महकमे के हाकिमों को बुरा लग गया। गुस्सा इतना कि मीडिया और पुलिस के समन्वय को बनाए गए मीडिया सेल नामक ग्रुप से ऐसे पत्रकारों को ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। अधिकारियों की इस हरकत के पीछे मीडिया पर दबाव कायम करने की मंशा दिखाई पड़ती है।
अधिवक्ता समेत सभी परिजन जमानत पर रिहा
पुलिस से मारपीट के आरोप में चार महिलाओं समेत आठ लोगो को आरोपी बनाया गया था और शनिवार को मेडिकल परीक्षण के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। साेमवार को मामले की सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश डकैती नुपुर की अदालत में दोनों पक्षों की ओर से दलीलें पेश की गईं। हालांकि न्यायाधीश ने अधिवक्ता समेत सभी आरोपियों को बीस-बीस हजार की जमानत देते हुए रिहा करने का आदेश सुनाया। अधिवक्ताओं से खचाखच भरी अदालत में न्यायाधीश ने आराेपी पक्ष की मेडिकल रिपोर्ट का अवलोकन भी किया। आरोपी पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामस्वरूप सिंह व शंकर सिंह परिहार ने अपना पक्ष रखा।