भास्कर समाचार सेवा
मथुरा(बरसाना)। राधारानी को अपनी बेटी मानने वाले, ब्रज प्राकट्यकर्ता, ब्रजोधारक, श्रीजी विग्रह प्राकट्यकर्ता श्रील नारायण भट्ट जी की जयंती पर उनके समाधिस्थल को श्रद्धालुओं ने दुल्हन की तरह सजाया वहीं भट्टजी महाराज के जयकारों से ललिता सखी का गांव गूंज उठा। शनिवार को नारायण भट्टजी के वंशजों द्वारा विधि-विधान के साथ नारायण भट्टजी महाराज की करीब 587 वीं जयंती बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई। इस दौरान ऊंचागांव स्थित भट्टजी महाराज के समाधि स्थल पर फूल बंगला सजाया गया वहीं देर रात्रि तक पद–सवैया का गायन किया गया। जयंती पर नारायण भट्टजी के वंशज एवं ब्रजाचार्य पीठ के पीठाधीश उपेंद्र नारायण भट्ट ने आरती करके भक्तों को प्रसाद वितरण किया। इस मौके पर पीठ के प्रवक्ता घनश्याम राज भट्ट, दिलीप भट्ट, कृष्णानंद भट्ट, राजकुमार पचौरी, अरुण सारस्वत, हरीश कोहली, जितेंद्र गुप्ता महानगर अध्यक्ष अलीगढ़, डॉक्टर देवनारायण महती कोलकाता, पूर्व जेल विजिटर लक्ष्मण प्रसाद शर्मा, पदम फौजी, ओमप्रकाश चौधरी, योगेंद्र सिंह, ललित भट्ट, रोहित भट्ट, ओमप्रकाश चौधरी, दिनेश नारायण भट्ट, ठाकुर प्रसाद भट्ट, राकेश गौड़, पदम फौजी, गोविंद मुनीम, आदि मौजूद रहे।
कौन थे श्रील नारायण भट्ट
श्रील नारायण भट्ट का जन्म संवत 1588 वैसाख शुक्ल पक्ष नरसिंह जयंती दिवाभाग पर हुआ। दक्षिण के मदुरईपट्टनम से अपने साथ लाडले प्रभु को लेकर भट्ट जी महाराज ब्रज में पधारे। ब्रज आने के बाद आपने श्रीजी महारानी की कृपा से लाडले प्रभु को साथ लेकर ब्रज के अनेकों तीर्थ, देवालय, सरोवर एवं विग्रहों का प्राकट्य किया। जिनमें से प्रधान विग्रह बरसाना में स्थित लाडली जी मंदिर में विराजमान श्रीजी का विग्रह है। भट्ट जी ने अनेक ग्रंथों की रचना की। श्रीलभट्ट जी महाराज ने अपने शिष्य स्वामी नारायण दास को श्रीजी मंदिर की सेवापूजा सौंप स्वयं लाडले प्रभु की सेवा में लीन रहने लगे। बरसाना गोस्वामी समाज भट्ट जी महाराज की शिष्य परंपरा में आते हैं।