भास्कर समाचार सेवा
हरिद्वार। शहर की सूरत संवारने का यह काम इतना आसान भी नहीं है। प्रशासन के दो दिनी अभियान के बाद हालत फिर पहले से हो जाते हैं। हरिद्वार में अतिक्रमण एक बड़ी और पुरानी समस्या है। आमतौर पर प्रशासन मेलों और स्नान पर्वों पर ही इनकी सुध लेता है। अतिक्रमणकारी भी प्रशासन की इस कार्यशैली को पहचानते हैं और प्रशासन की कार्रवाई थमते ही फिर से अतिक्रमण सड़कों, बाजारों में पसर जाता है। इसलिए हरिद्वार के हालात दशकों से ऐसे ही हैं। इसका बड़ा कारण हरिद्वार का तीर्थ और पर्यटक स्थल होना है। जिसके कारण यहां हर स्थल का व्यापारिक महत्व है और जगह जगह फड़, ठेली, खोखे लगे हुए हैं।
अतिक्रमण से मुक्त कराने की जद्दोजहद में लगा हरिद्वार प्रशासन
सरकारी इमारतों की दीवारों पर भी कारोबार चल रहे हैं। यहां तक की दुकानदारों ने दुकान के बाहर सार्वजनिक सड़कों पर भी किराए के बाजार सजा रखे हैं। यूं अतिक्रमण के खिलाफ धर्मनगरी में प्रशासनिक कार्रवाई समय-समय पर होती रहती है लेकिन इस पर निगरानी की कोई स्थाई व्यवस्था न होने के कारण प्रशासन की कार्रवाई का कोई दीर्घकालिक प्रभाव नहीं रहता।
हालांकि आजकल प्रशासन का अतिक्रमण हटाओ अभियान लगातार जारी है और सिटी मजिस्ट्रेट अवधेश कुमार सिंह का कहना है कि हटाए गए अतिक्रमण पर लगातार निगरानी रखी जा रही है और पुनः अतिक्रमण करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन देखना है कि प्रशासन के ये तेवर कब तक कायम रहते हैं।