कथक नृत्य गुरु श्रद्धा की बेटी ने गर्भ से मिली शिक्षा से चमकाई प्रतिभा
सनोवर बाेलीं : मां ने ममता की छांव के बीच गुरु बनकर दिखाई सख्ती
भास्कर न्यूज
बांदा। कहते हैं कि बच्चे की पहली गुरु उसकी मां ही होती है, इस बात को चरितार्थ करके दिखाया है शहर के स्वराज कालोनी निवासी नृत्य गुरु श्रद्धा निगम और उनकी लाडली बेटी सनोवर निगम उर्फ ईशा की बेहतरीन जोड़ी ने। मां के गर्भ से ही कथक नृत्य के गुर सीख कर ईशा ने घुंघरू की खनक को विदेशों तक खनकाया और अपने परिवार के साथ ही जिले का नाम रोशन किया है। ईशा कहतीं हैं कि उन्होंने मां की ममता की छांव के बीच कथक नृत्य की विधा को सीखा है और उसे अंगीकार किया है। वहीं नृत्य गुरु श्रद्धा का मानना है कि जीवन में सभी लयबद्ध होकर धैर्यवान और विनम्र रहना चाहिए।
शहर के स्वराज कालोनी मोहल्ले के गली नंबर 5 में नृत्य कला गृह में रोजाना शास्त्रीय नृत्य कथक के तत्कार और घुंघरुआंे की खनक सुनाई दे जाती है। यहां कथक नृत्य गुरु श्रद्धा निगम नई पीढ़ी के बच्चों को कथक में प्रवीण करने के अपने संकल्प को पूरा करने में जुटी रहती हैं। विलुप्त हो रहे शास्त्रीय संगीत व नृत्य को जीवित रखने के अपने संकल्प को पूरा करने के लिए श्रद्धा पूरी शिद्दत से लगी हैं। वह अपने नृत्य कला गृह में अब तक सैकड़ों बच्चियों को कथक नृत्य से जोड़ चुकी हैं। उनकी बेटी सनोवर निगम उर्फ ईशा तो महाभारत के अभिमन्यु की तरह गर्भ से ही कथक के बोल सीख गई थी और महज दस माह की उम्र मंे ही कथक के तत्काल और बोल बोलने लगी थी। वहीं पांच वर्ष की उम्र में ईशा ने पहली बार शहर में आयोजित सुरताल कार्यक्रम में मंच में प्रतिभा का प्रदर्शन किया था। जिसमें मिली सराहना से उसकी प्रतिभा को पंख लग गए और फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। कालिंजर महोत्सव, चित्रकूट महोत्सव, जबलपुर, उज्जैन से होते हुए उसकी सफलता की यात्रा गोवा में आयोजित नेशनल प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त कर अपनी प्रतिभा का दम दिखाया और फिर देश के बाहर 2019 में थाइलैंड के बैंकाक में आयोजित आर्ट एंड कल्चर सोसायटी के इंटरनेशनल डांस फेस्टिवल में कामयाबी के झंडे गाड़ने तक पहुंचा।
सनोवर ने प्रयागराज संगीत समिति से कथक प्रणीण की डिग्री हासिल की है और मौजूदा समय में कथक सम्राट बिरजू महराज के पौत्र त्रिभुवन महराज के सानिध्य में कथक नृत्य की शिक्षा हासिल कर रही है। इसके अलावा सनोवर इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी हाथ आजमा रही है और दिल्ली से बीटेक के फाइनल इयर की छात्रा है। सनोवर का कहना है कि उन्हें शुरू से ही कथक के प्रति लगाव रहा है और वह बतातीं हैं कि छोटी सी आयु में ही पिता का साया उठने के बाद मां की ममता की छांव में ही उन्हें माता-पिता का प्यार मिला। मां ने लाड़-प्यार के बीच गुरु बनकर सख्ती के साथ उन्हें कथक में प्रवीण बनने में मदद की। वह नई पीढ़ी को शास्त्रीय संगीत व नृत्य से जुड़ने की प्रेरणा देती हैं। कहतीं हैं कि आधुनिकता की चकाचौंध में आज की पीढ़ी अपनी परंपरागत नृत्य और संगीत की विधाओं को भुलाती जा रही है।
मां श्रद्धा रहीं जयपुर घराने की प्रमुख नृत्यांगना
बुंदेलखंड में नृत्य गुरु के रूप में विख्यात पेट्रोल पंप संचालिका श्रद्धा निगम जयपुर घराने की प्रमुख शिष्याओं में शुमार रही हैं। वह जयपुर घराने के गुरु स्व.रामदास के सानिध्य में कथक में पारंगत हुईं और अब अपनी ससुराल बांदा में शास्त्रीय नृत्य की विधा का प्रचार प्रसार करने के लिए नृत्य क्लास चला रही हैं। उनकी नृत्य क्लास के बच्चों ने अभी हाल ही शहर के कटरा मोहल्ला स्थित रामदरबार मंदिर में सबके प्यारे राम नृत्य नाटिका की मोहक प्रस्तुति कर सभी का मन मोह लिया था और मंडलायुक्त दिनेश कुमार सिंह से सम्मान हासिल किया। नृत्य कला गृह के माध्यम से श्रद्धा निगम बच्चों को शास्त्रीय संगीत व नृत्य से जोड़कर परंपराओं के निर्वाहन का बीड़ा उठाए हुए हैं।
नई पीढ़ी को दी लयबद्ध जीवन की सीख
नृत्य गुरु श्रद्धा िनगम कहतीं हैं कि उन्होंने अपनी बेटी के साथ ही सैकड़ों बच्चियों को परंपरागत नृत्य से जोड़कर शास्त्रीय संगीत की श्रंखला को आगे बढ़ाने का काम कर रही हैं। कहा कि आधुनिकता की चकाचौंध के बीच कान्वेंट स्कूल के बच्चों को परंपरागत शास्त्रीय नृत्य की ओर आकर्षित करने का कठिन संकल्प है, लेकिन ईश्वर और गुरु कृपा से कोई कार्य दुष्कर नहीं है। उनका कहना है कि जीवन में सफलता की ऊंचाईयों को छूने के लिए लयबद्धता और धैर्य के साथ विनम्रता बहुत आवश्यक गुण है। बिना इन गुणों के कोई भी आगे नहीं बढ़ सकता है।