यह सतर्कता आने वाले बच्चे की जीवन के लिए साबित हो सकती वरदान
बचाव ही इस बीमारी का सबसे अच्छा इलाज
भास्कर समाचार सेवा
मथुरा। थैलीसीमिया बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए आठ मई को विश्वभर में थैलीसीमिया दिवस मनाया जाता है। इस बीमारी में बचाव ही इलाज माना जाता है। मथुरा में इस रोग से पीडित बच्चों के परिजनों की मांग है कि मथुरा जिला अस्पताल में ही बीमारी के इलाज की मूलभूत सुविधाएं उलब्ध कराई जाएं जिससे इलाज के लिए लगातार बाहर जाने की पीडा से बचा जा सके। शादी विवाह तय करते समय युवक युवती की कुंडली और गुण दोष मिलाएं या न मिलाएं लेकिन दोनों की थैलीसीमिया की रिपोर्ट जरूर मिला लें। यह पति पत्नी के साथ बच्चों के सुखमय जीवन के लिए भी बेहदज जरूरी है। वहीं थैलीसीमिया से पीडितों का जीवन बाहरी रक्त पर ही टिका है, इसलिए उनके लिए रक्तदान अवश्य करें। मेडिकल साइंस में थैलीसीमिया की जांच और इलाज हैं, किन्तु वह महंगा है, ऐसे में थैलीसीमिया के बारे में जागरूकता और जांच ही बचाव का जरिया है। आठ मई को थैलीसीमिया दिवस इसी भावना के साथ मनाया जाता है कि इस रोग के प्रति लोगों को अधिक से अधिक जागरूक किया जा सके। कृष्णा नगर निवासी थैलीसीमिया ग्रसित कुमारी रूपिका बतरा ने थैलीसीमिया दिवस के उपलक्ष्य में सरकार और स्वास्थ्य विभाग से मथुरा में थैलीसीमिया डे केयर खोले जाने की मांग करते हुए कहा है कि मथुरा में लगभग 70 से 80 बच्चे थैलीसीमिया से पीडित हैं, अगर उन्हें मथुरा में सरकारी अस्पताल में ही इलाज मिलेगा तो किसी और शहर में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। थैलीसीमिया मेजर से पीडित मथुरा के हेमंत लालवानी के पिता चंद्रकांत लालवानी ने कहा कि कुंडली मिलान हो न हो विवाह से पहले युवक युवती की थैलीसीमियां जांच और उनका मिलना जरूर करालें। माता पिता दोनों में से एक भी थैलीसीमिया माइनर या कैरियर है, तो उनके बच्चों में से कुछ बच्चे माइनर हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि थैलीसीमिया से बचाव का केवल एक ही उपाय है, ऐसे पुरूष और महिला जिन्हें थैलीसीमिया माइनर है, उनका विवाह न हो, इसके लिए विवाह से पूर्व पुरूष और महिला की कुण्डलियां मिलाने के साथ ही थैलीसीमिया माइनर रक्त परिक्षण की रिपोर्ट का मिलान करना जरूरी है। अतः अविवाहित युवक युवती का रक्त परिक्षण नितांत आवश्यक है। एक विशिष्ट प्रकार के खून जांच एचपीएलसी के द्वारा थैलीसीमिया माइनर की जांच जिंदगी में सिर्फ एक बार करानी पड़ती है, जो कभी भी बदलती नहीं है।
जिला अस्पताल ब्लड बैंक प्रभारी डा.ऋतु रंजन बोली
थैलीसीमिया से पीडित जो बच्चे जिला चिकित्सालय के संपर्क में है उन्हें निःशुल्क और बिना एक्सचेंज किए हर महीने रक्त उपलब्ध कराया जाता है। थैलीसीमिया माइनर व्यक्ति पूर्णतय स्वस्थ होता है। यह चिंता का विषय नहीं, लेकिन समस्या तब बनती है, जब माता पिता दोनों ही थैलीसीमिया माइनर या कैरियर हों, ऐसे में उनके थैलीसीमिया मेजर बच्चे को जन्म देते हैं, ऐसे बच्चे शारीरिक रूप से ही नहीं, मानसिक रूप से भी पीडित हो जाते है, बच्चे में खून की कमी होने लगती है, बच्चा पीला होने लगता है, बच्चा सुस्त रहने लगता है।