बांदा : करोड़ों रुपये के दो ओवरहेड टैंक बने शोपीस, 20 हजार की आबादी हो रही प्रभावित

एक नलकूप की मोटर फुंकी, दूसरे का जल स्तर खिसका

भीषण गर्मी में पानी के लिए भटक रहे गांव के ग्रामीण

अभियंता का आश्वासन हवा-हवाई साबित हुआ

भास्कर न्यूज

नरैनी। गर्मी बढ़ने के साथ ही लोगों को पानी की चिंता सताने लगी है। तहसील क्षेत्र के पनगरा गांव में ग्रामीण पेयजल योजना के तहत करोड़ों रुपये खर्च कर जल निगम द्वारा बनाया गया ओवरहेड टैंक ग्रामीण क्षेत्र के बाशिंदों की पानी की जरूरत पूरी नहीं कर पा रहा है। गांव में बने ओवरहेड टैंक इस जरूरत के समय शोपीस बनकर रह गए हैं। 20 हजार की आबादी वाले गांव में ग्रामीण भीषण गर्मी में पानी के लिए परेशान हैं। हालांकि ग्राम प्रधान गांव में कुछ स्थानों पर टैंकरों से पेयजल आपूर्ति करने का प्रयास कर रहे है।

महुआ ब्लाक के पनगरा गांव में लगभग आठ साल पहले तत्कालीन प्रदेश सरकार ने दो ओवरहेड टैंकों का निर्माण कराया था। दो ओवरहेड टैंक भरने के लिए गांव में पांच नलकूप की व्यवस्था की थी। लगभग 20 हजार की आबादी वाले पूरे गांव और तीन किलोमीटर दूर मजरो में पेयजल आपूर्ति की जानी थी। मजरों में तो सिर्फ टेस्टिंग करते समय पानी पहुंचाया गया। शुरुआती दौर में 80 फीसदी तक आबादी को पर्याप्त पानी मिलता रहा। समय गुजरने के साथ ही पूरे गांव की पेयजल आपूर्ति पूरी तरह गड़बड़ा गई। गांव का आधा हिस्सा ऊंचाई पर बसा होने के कारण पानी नहीं पहुंच पा रहा है। ऊंचे क्षेत्र में पानी पहुंचाने के लिए चेकवाल्ब लगाए गए हैं। पेयजल आपूर्ति के काम में लगे प्राइवेट कर्मियों ने बताया कि कुछ लोग जबरन चेक वाल्ब खोल ले गए। इसी वजह से ऊंचाई में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। ग्राम प्रधान गांव में कुछ स्थानों पर टैंकरों से पेयजल आपूर्ति करने का प्रयास कर रहे है। टैंकरों से आने वाले पानी को भरने के लिए भारी भीड़ जमा हो जाती है। पानी भरने को लेकर रोज लोगों का आपसी विवाद होता है। ग्राम प्रधान जगदीश प्रसाद यादव ने बताया कि पांच में तीन नलकूप चालू हैं। एक नलकूप का जल स्तर नीचे उतर गया है तो दूसरे की मोटर फुंकी है। बताया कि जल निगम अधिकारियों ने उनकी शिकायत को तवज्जो नहीं दी। नतीजे में पूरे गांव में पानी की भीषण किल्लत है। ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। बताया कि एक हफ्ते पहले जल निगम अवर अभियंता अमित कुमार ने ग्रामीणों के साथ बैठक कर तीन दिनों में व्यवस्थाएं दुरुस्त कराने का भरोसा दिया था। तीन दिन बीत जाने के बाद भी समस्या जस की तस बरकरार है। अभियंता का आश्वासन हवा-हवाई साबित हुआ।

नहीं नसीब हो रहा स्वच्छ पेयजल

लगभग आठ साल बीत जाने पर भी गांव के लोगों को स्वच्छ पेयजल नसीब नहीं हो रहा है। तहसील क्षेत्र के पनगरा गांव में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं होने से आमजन में बीमारियों के फैलने की आशंका प्रबल हो गई है। जलापूर्ति के लिए पाइप लाइनें भी बिछाई गई हैं। जल निगम के अधिकारियों की लापरवाही से लगभग 20 हजार की आबादी स्वच्छ पेयजल के लिए तरस रही है। जिम्मेदार अधिकारी इसकी सुध नहीं ले रहे हैं। शिकायत के बाद भी समस्या का समाधान नहीं होने से ग्रामीणों में आक्रोश है।

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