सुल्तानपुर। विनियमित क्षेत्र में पुराने जर्जर मकानों के मरम्मत एवं मानचित्र स्वीकृत कराने के नाम हो रहे खुलेआम भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना दल एस के जिलाध्यक्ष अविनाश वर्मा ने जिलाधिकारी रवीश कुमार गुप्ता से मिलकर लिखित शिकायत दी है। उन्होंने लिखित शिकायत के माध्यम से विनियमित क्षेत्र में फैले इस भ्रष्टाचार को दूर करने एवं भ्रष्ट कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही करने की मांग की है। डीएम रवीश कुमार गुप्ता ने जिलाध्यक्ष अविनाश पटेल की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए शीघ्र प्रभावी कार्रवाई का भरोसा दिया है।
जर्जर मकानों के पुनर्निर्माण व मानचित्र स्वीकृति में हो रहा खेल
भाजपा शासन में प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के निर्देशन में भ्रष्टाचार को हर स्तर पर जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए हर दिन हर सम्भव प्रयास किए जा रहे है। यहां तक कि लगभग रोजाना अपने दायित्वों को ढंग से न निभाने वाले भ्रष्टाचार में शामिल बड़े से बड़े अफसरो या जिम्मेदारों के खिलाफ कार्यवाही के मामले सामने आ रहे हैं। किन्तु जिनके मुंह में बेईमानी का खून लग चुका है, वह अपनी आदतों को आसानी से सुधारने को राजी नहीं है। वे अपना काम बनाने के लिए रास्ता ढूढ ही लेते है।
विनियमित क्षेत्र प्राधिकारी कार्यालय के बाबुओं व अफसर का हाल भी कुछ ऐसा ही हो गया है। जहां के मनमाने कार्य व्यवहार से परेशान लोगो ने अपना दर्द अपना दल (एस) के जिलाध्यक्ष अविनाश पटेल से बयां किया। इस प्रकरण को लेकर जिलाध्यक्ष ने डीएम रवीश कुमार गुप्ता से मिलकर लिखित शिकायत की। आरोप के मुताबिक सुलतानपुर शहर स्थित नजूल की भूमि पर कई जर्जर मकान मौजूद है, जिनके पुनर्निर्माण अथवा मानचित्र स्वीकृति के नाम पर विनियमित क्षेत्र प्राधिकारी का प्रभार देखने वाले उप जिलाधिकारी सदर के जरिये मनमाना खेल किया जा रहा है।
डीएम को शिकायती पत्र देते अपना दल एस जिलाध्यक्ष
बताया जा रहा है कि ऐसे मामलों में काफी समय से लम्बित अर्जियों का निस्तारण नहीं किया जा रहा है बल्कि ऐसे अर्जियों में काम बनाने व बिगाड़ने का धौंस दिखाकर संबंधित अधिकारी और बाबूओ के जरिये मनमाने तरीके से कार्य किया जा रहा हैं, यहां तक कि अपने ढंग से कानून चलाकर मनमाना आदेश जारी किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि आवेदकों का काम करने के लिए इतने नियम बता दिए जाते है कि वह चाहकर भी सही काम नहीं करा सकता।
अगर वह अपना सही काम करने के लिए बिना सुविधा शुल्क दिये कार्यवाही भी कराना चाहे तो उसे इतना दौड़ा दिया जाएगा या ऐसी कानूनी पेंचीदगियां बता दी जाएगी कि वह थक हारकर स्वयं अफसर या बाबुओं या उनके यहां सेटिंग-गेटिंग कराने वाले बिचैलियों की बात मानने को मजबूर हो जाएगा। शायद यही वजह है कि आजकल अफसरों और बाबुओं का यह रवैया देखकर अधिकतर लोग नियम -कानून के पचड़े में फंसने के बजाय सीधा दे लेकर काम कराने का शॉर्टकट तरीका ज्यादा आसान समझ रहे है और इसी के परिणामस्वरूप यह तरीका अफसरों व बाबुओं की लम्बी अवैध कमाई का जरिया बना हुआ है।
बताया जा रहा है कि करीब छह साल पहले ऐसे ही एक प्रकरण तुलसा द्विवेदी का चर्चा में आया था जिसमें विनियमित क्षेत्र आफिस के प्राधिकारी उपजिलाधिकारी सदर ने जर्जर मकान के पुनर्निर्माण एवं मानचित्र स्वीकृति संबंधी आवेदन को शर्त स्वीकार करने के बजाय निरस्त कर दिया था ,यह मामला जिला न्यायालय में भी गया था लेकिन जिला न्यायालय ने भी विनियमित क्षेत्र प्राधिकारी के यहां से हुए आदेश को सही मानते हुए तुलसा देवी की अर्जी को खारिज कर दिया था। अदालतों से हुए इन आदेशो को तुलसा द्विवेदी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
जिस पर सुनवाई के पश्चात हाईकोर्ट ने दोनों ही अदालतों के आदेशों को निरस्त करते हुए नजूल भूमि होने अथवा न होने की बात को ज्यादा महत्व न देते हुए अपने आदेश में दिए गए निर्देशों के अनुसार मामले की पुनः सुनवाई कर उचित आदेश देने का निर्देश जारी किया। हाईकोर्ट के निर्देशन में तुलसा द्विवेदी ने संबंधित अदालतो में अर्जी प्रस्तुत की, जिसके पश्चात उनकी अर्जी पर उन्हें नजूल भूमि स्थित अपने जर्जर मकान के पुनर्निर्माण व मानचित्र स्वीकृति का सशर्त आदेश मिला और मामला चर्चा में आने के बाद इसी आधार पर कई आवेदकों को हाईकोर्ट से जारी निर्देश के क्रम में सशर्त लाभ मिला।