लखीमपुर खीरी : काफी अव्यवस्थाओं के चलते समाप्त हुआ ऐतिहासिक चैती मेला

गोला गोकर्णनाथ खीरी। छोटीकाशी के नाम से विख्यात गोला गोकर्णनाथ खीरी में 2 वर्ष के बाद ऐतिहासिक चैती मेले का आयोजन हुआ। जिसके चलते नगर वासियों में काफी खुशी का माहौल था लेकिन मेला मैदान की तमाम जगह पर अवैध अतिक्रमण के चलते ऐतिहासिक चैती मेले को पर्याप्त स्थान ना मिल सका जिसके चलते नगर की भीड़ को नियंत्रण करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। वहीं 18 वे दिन मेला के समापन के दौरान ऐतिहासिक चैती मेला के मंच पर मुख्य अतिथि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी रहे लेकिन मेले मे अधिकतर कुर्सियां खाली रही है। मंच पर आसीन अजय मिश्र टेनी जनता को संबोधन देते रहे लेकिन वही कुर्सियों पर जनता को ना बैठ देख कर चंद मिनटों में ही अपना भाषण समाप्त करके वहां से चल दिए। हालांकि अजय मिश्र टेनी के आगमन को लेकर नगर पालिका ने जनता जागरूक करने के लिए लाखों रुपए खर्च कर दिए लेकिन फिर भी जनता का इस पर कोई खास असर देखने को नहीं मिला जिसके चलते केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के आगमन के बाद भी मेले में कोई रौनक नहीं दिखाई दी।
जबरदस्त महंगाई के चलते आम आदमी के लिए फीका रहा चैती मेला
मेले में हर बार की अपेक्षा इस बार महंगाई भी चरम सीमा पर रही जिसके चलते बड़े झूले का टिकट ₹40 वही छोटे बच्चों के झूले का टिकट ₹20 रहा जिसमें सिर्फ छह राउंड करने की अनुमति दी गई थी। वही मेले की शान कही जाने वाली सॉफ्टी की भी कीमत लगभग ₹30 से ₹40 रही। 
जमकर बांटे गए चाहने वालों को मेले का पास
हालांकि महंगाई के एक कारण का दावा यह भी किया गया कि नगर पालिका के कुछ सभासदों द्वारा जमकर अपने चाहने वालों को निशुल्क मेला पास उपलब्ध कराया। जिसके खर्चे का एडजस्टमेंट करने के लिए प्रत्येक चीजों का रेट बढ़ाया गया। सियासी जानकारों ने मुफ्त में फ्री पास बनवाने का एक कारण आगामी नगर पालिका चुनाव की तैयारी को लेकर भी बताया जिससे कि फ्री प्रेस पास बांटकर सभासद अपने अपने क्षेत्र के वोट सुरक्षित कर सकें।

संकुचित जगह होने के चलते अनियंत्रित रही भीड़ भाड़
ऐसा बताया जाता है कि काफी वर्ष पूर्व मेला मैदान की जगह काफी भरपूर मात्रा में थी जिसके चलते मेला मैदान के प्रांगण में ऐतिहासिक चैती मेले का आयोजन बहुत ही भव्य रहा करता था लेकिन लोगों ने अपने स्वार्थ और लालच के चलते जिम्मेदारो से सांठगांठ कर काफी मेला मैदान की जमीन पर कब्जा कर लिया जिसके चलते ऐतिहासिक चैती मेले की जमीन कम होती चली गई। जिसका कारण यह रहा कि मेले में नगर वासियों को एक जगह से दूसरी जगह जाने में अनियंत्रित भीड़ होने के चलते काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और नगर वासियों मे दुर्घटना होने का भी डर बना रहा।

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