लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विधान परिषद के चुनावों में इतिहास रचते हुए भाजपा ने 36 में से 33 सीटों पर जीत दर्ज की है। यूपी विधान परिषद चुनाव में भाजपा एक बार फिर बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। 40 साल बाद ऐसा पहली बार है कि विधानसभा के साथ-साथ विधान परिषद में भी किसी पार्टी को बहुमत मिला हो।
इतनी साख के बावजूद तीन इलाकों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण रहे काशी क्षेत्र में निर्दलीय प्रत्याशी अन्नपूर्णा सिंह भाजपा के सुदामा पटेल पर भारी पड़ी हैं। जबकि सपा दूसरे स्थान पर रही।
बाहुबली नेताओं की साख भी दांव पर रही
वहीं बाहुबली नेताओं की साख भी दांव पर रही। प्रतापगढ़ से राजा भैया के रिश्तेदार अक्षय प्रताप सिंह जनसत्ता दल से जीते हैं। आजमगढ़ में भी भगवा पार्टी को निराशा हाथ लगी है। यहां बीजेपी के बागी और निर्दलीय प्रत्याशी विक्रांत सिंह रिशू के हिस्से जीत आई।
अखिलेश के गढ़ में सपा के चारों खाने हो गये चित
इससे पहले नौ सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए थे। वहीं, इस चुनाव में किसी भी सीट पर सपा का खाता नहीं खुल सका। सपा का गढ़ कहे जाने वाले आजमगढ़ में पार्टी तीसरे स्थान पर रही। यहां से भाजपा के बागी प्रत्याशी व एमएलसी यशवंत सिंह के पुत्र विक्रांत सिंह रिशू 4076 मत पाकर विजयी हुए। जबकी तीसरे स्थान पर रहे सपा के राकेश कुमार यादव को 356 मत मिले।
परिषद चुनाव में भाजपा एक बार फिर बड़ी पार्टी बनकर उभरी
यूपी विधान परिषद चुनाव में भाजपा एक बार फिर बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। इतने साख के बावजूद तीन इलाकों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है काशी क्षेत्र जहां से निर्दलीय प्रत्याशी अन्नपूर्णा सिंह भाजपा के सुदामा पटेल पर भारी पड़ी हैं। जबकि सपा दूसरे स्थान पर रही। हालांकि, तमाम लोगों ने यह आरोप लगाया है कि राजपूत बाहुबलियों के इलाकों में बीजेपी के प्रत्याशियों ने वॉकओवर दिए हैं। 170 सीटों पर सिमट कर रह गए भाजपा के सुदामा पटेल ने चुनाव के बीच ये आरोप लगाया कि अन्नपूर्णा सिंह ने उन्हें चुनाव न लड़ने पर पांच करोड़ रुपये देने का ऑफर दिया था।
पांचवी बार एमएलसी के रूप में उभरे राजा भैया के करीबी
प्रतापगढ़ में बाहुबली राजा भैया के रिश्तेदार अक्षय प्रताप सिंह पांचवीं बार एमएलसी बने हैं। अक्षय प्रताप को एमएलसी चुनाव के बीच में सात वर्ष की सजा सुनाई गई थी। उनकी उम्मीदवारी पर बड़ा संशय था लेकिन आखिर उन्हें जीत हासिल हुई। अक्षय प्रताप सिंह को 1721 मत हासिल हुए और बीजेपी के हरि प्रताप 580 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। विधानसभा चुनाव की तरह विधान परिषद में भी इस जिले से भगवा पार्टी को निराशा हाथ लगी।
जानिए क्यों राजपूत बाहुबलियों का छाया दबदबा
तीन क्षेत्रोें में बीजेपी की हार के मायने राजपूत बाहुबलियों का दबदबा माना जा रहा है। किसी जगह पार्टी की कोर टीम का कब्जा हुआ है तो कहीं पर बी टीम जीती है। वाराणसी में अन्नपूर्णा सिंह की जीत हुई है, वह बीजेपी के सैयदराजा से विधायक सुशील सिंह की चाची हैं। वहीं, आजमगढ़ के विक्रांत सिंह बीजेपी के कोटे के ही एमएलसी हैं।
पहले से कभी नहीं थामा हार का दामन
वाराणसी से माफिया बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा ने 24 साल से इस सीट पर चले आ रहे वर्चस्व को कायम रखा है। इसी तरह रायबरेली सीट से भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह ने लगातार तीसरी बार एमएलसी के चुनाव में जीत दर्ज की है।